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संस्कार कैसे सिखाएं?

बच्चों में ज्यादातर संस्कार उनके मां-बाप से आते हैं और संस्कारों को विकसित करने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका होती है.

मांसाहार , फ़ास्ट फ़ूड , बासी और तेल मसाले वाले भोजन से बच्चों को बचाना जरूरी होगा.
  • 6 से 10 वर्ष तक इन बातों का ध्यान रखें …
  • 11 से 16 वर्ष तक तक इन बातों का ध्यान रखें

अच्छे संस्कार कैसे सीखें?

बच्चों में संस्कार उनके माता-पिता से आते हैं और यह संस्कार उनके अंदर बचपन से ही डाले जाते हैं। अगर आपकों लगता है कि आपके बच्चे में संस्कार की कमी है, तो आपको इस पर ध्यान देना होगा। बच्चों के पहले टीचर उनके मां-बाप होते हैं और बच्चों में संस्कार (Culture in children) के लिए भी मां-बाप ही जिम्मेदार होते हैं।

अच्छे संस्कार क्या होते हैं?

इन संस्कारों के नाम है-गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, मुंडन, कर्णवेधन, विद्यारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत, सम्वर्तन, विवाह और अंत्येष्टि। प्रत्येक हिन्दू को उक्त संस्कार को अच्छे से नियमपूर्वक करना चाहिए। यह मनुष्य के सभ्य और हिन्दू होने की निशानी है।

लड़कियों के संस्कार कैसे होने चाहिए?

उसको हर तरह की अच्छी और बुरी दोनों बातों का ज्ञान बोध कराती रहें। ताकि वह अपने अच्छे बुरे के बारे में अच्छे से सोच सके। यह सोच कर कभी ना संकोच करें कि यह बेटी के साथ बात शेयर करने की नहीं है, क्योंकि बेटियां आजकल बहुत समझदार हो रही है । अपनी बेटी से हर तरह की बात शेयर करना एक मां का पहला कर्तव्य है।

अच्छे बच्चे की क्या पहचान है?

बड़ों के साथ समय बिताना पसंद

विशेषज्ञों के अनुसार अगर बड़ों के साथ समय बिताना पसंद करते हैं तो अधिक बुद्धिमान होंगे। Lyn Kendall ने बीबीसी से कहा कि जो बच्चे अधिक तेज तर्रार होते हैं वो बड़ों की कंपनी पसंद है। वो परिपक्व होते हैं। वो अपने से बड़ों से अधिक सीखते हैं।

जीवन का अंतिम संस्कार क्या है?

संस्कार का तात्पर्य हिन्दुओं द्वारा जीवन के विभिन्न चरणों में किये जानेवाले धार्मिक कर्मकांड से है। यह हिंदू मान्यता के अनुसार सोलह संस्कारों में से एक संस्कार है। अंतिम संस्कार हिन्दुओं के पृथ्वी पर बिताये गये जीवन का आखिरी संस्कार होता है जिसे व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात मृतक के परिजनों द्वारा संपन्न किया जाता है।

बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डालें?

बच्चे में अच्छे संस्कार विकसित करना चाहती हैं, तो व्यवहारिक बातें समझाना भी बेहद जरूरी है। उसे बचपन से ही सिखाएं कि बड़ों से कैसे बात की जाए। बड़ों का अभिवादन करना, थैंक्यू और सॉरी कहना जरूर सिखाएं। हाइजीन मेनटेन करना, पार्टी एटिकेट्स, रेस्टोंरेंट मैनर इन सब चीजों को आप तो फॉलो करें ही, बच्चों को भी सिखाएं।

दाह संस्कार का हक स्त्रियों को क्यों नहीं?

महिलाओं के श्मशान घाट जाने पर नकारात्मक ऊर्जा आसानी से उनके शरीर प्रवेश कर सकती है क्योंकि स्त्रियां कोमल ह्रदय की मानी जाती है। साथ ही नकारात्मक ऊर्जा से उनके अंदर बीमारी फैलने की संभावना ज्यादा होती है।

पहला संस्कार कौन सा है?

हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इनमें पहला गर्भाधान संस्कार और मृत्यु के उपरांत अंत्येष्टि अंतिम संस्कार है। गर्भाधान के बाद पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण ये सभी संस्कार नवजात का दैवी जगत् से संबंध स्थापना के लिये किये जाते हैं।

अंतिम संस्कार में लड़कियां क्यों नहीं जाती?

महिलाओं का मुंडन शुभ नहीं

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अंतिम संस्कार में परिवार के पुरुषों को मुंडन करवाना पड़ता है, जबकि महिलाओं का मुंडन करना शुभ नहीं माना जाता है. इस वजह से महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है.

लाश जलाने वाले को क्या कहा जाता है?

यहाँ दाह संस्कार कराने वालों को डोम राजा कह कर पुकारा जाता है. इन्हें भले ही डोम राजा नाम दिया गया है लेकिन समाज में इनकी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है.

बच्चों को मोबाइल से कैसे दूर करें?

अगर आपका बच्चा बहुत जिद्दी है और आसानी से नहीं मान रहा, तो आप एक ऐप की मदद से भी उसकी मोबाइल की लत छुड़ा सकते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद Cracked Screen Pranked नाम का ऐप डाउनलोड करें। इस ऐप में स्क्रीन क्रैक्ड की टाइमिंग सेट कर दें। इससे आपके मोबाइल की स्क्रीन क्रैक्ड नजर आएगी और बच्चा उसे छोड़ देगा।

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बेटे को सुधारने के लिए क्या करना चाहिए?

बच्चे की बात ध्यान से सुनें

बच्चे को सुधारना तब आसान होगा, जब माता-पिता उसकी पूरी बात ध्यान से सुनेंगे। हर बच्चे को ये लगता है कि मां बाप अपनी बात ज्यादा सुनाते हैं और बच्चे की कम सुनते हैं। माता-पिता को ऐसा क्यों लगता है कि जोर-जबरदस्ती से बच्चा सुधारा जा सकता। जरूरत से ज्यादा डांटना बच्चे को जिद्दी बना देता है।

लाश को कब जलाना चाहिए?

सूर्यास्त के बाद हुई है मृत्यु तो हिन्दू धर्म के अनुसार शव को जलाया नहीं जाता है। इस दौरान शव को रातभर घर में ही रखा जाता और किसी न किसी को उसके पास रहना होता है। उसका दाह संसाकार अगले दिन किया जाता है। यदि रात में ही शव को जला दिया जाता है तो इससे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति नहीं मिलती है।

गर्भ में लड़का रहता है तो क्या खाने का मन करता है?

लेकिन ऐसा माना जाता है कि मीठा खाने की क्रेविंग का संबंध गर्भ में लड़की होने से होता है जबकि नमकीन खाने की इच्‍छा होने का मतलब है लड़का होगा।

बेटा होने के लक्षण क्या होते हैं?

बेटा होने का लक्षण क्या है
  • सामान्य दिनों की तुलना में आपका मूड काफी स्विंग होने लगा है।
  • गर्भावस्था में लहसुन खाने के बावजूद आपके शरीर से गंध नहीं आती है।
  • इन दिनों आपके बाल काफी कमजोर हो गए हैं
  • प्रेग्नेंसी में आपको सिरदर्द की समस्या नहीं हुई।
  • सोते समय आप दाईं करवट सोती हैं
  • आपके पिछले बच्चे का पहला शब्द ‘मां’ था।

बच्चे अपने माता पिता से झूठ क्यों बोल रहे हैं?

आपको देखकर सीख सकते हैं झूठ बोलना

बच्चों के लिए मातापिता उनके आईडल होते हैं। वे अपने मातापिता को देखकर ही हरकत या आदत को दोहराते हैंबच्चे के सवाल पूछने पर उसे सही जवाब दें। कई बार हम बच्चों को टालने के लिए झूठ बोल देते हैं और बच्चे हमारी इस आदत को अपना लेते हैं

माता पिता बच्चे से क्या चाहते हैं?

  • बच्चा दूसरों से वैसा ही व्यवहार कर जैसा वह खुद के लिए चाहता है।
  • सामाजिक नियमों, सीमाओं, मर्यादाओं का सम्मान करे और उनकी अनुपालना करे।
  • सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भागादारी सुनिश्चित करे।
  • सामाजिक रूढ़ियों और कुरीतियों के मकड़ जाल में न फंसे।
  • किसी भी परिस्थिति में समाज और परिवार के अनुरूप स्वयं को अनुकूलित कर सके।

मनुष्य के मरने का शुभ समय कौन सा है?

लेकिन अगर किसी की मृत्यु रात में हुई है तो फिर उसका अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे तक कर देना चाहिए । ऐसी मान्यता है कि यमराज अगर गलती से किसी के प्राण हर लेते है तो वे उसे पुनः वापस लौटाने की ताकत भी रखते हैं, इसलिए कहा जाता है कि किसी का भी अंतिम संस्कार करने में बहुत जल्दबाजी नहीं करना चाहिए ।

लाश को रात में क्यों नहीं जलाया जाता?

रात में नहीं किया जाता दाह-संस्‍कार

दरअसल, मान्‍यता है कि जब तक शव का अंतिम संस्‍कार नहीं हो जाता है, आत्‍मा उसके करीब ही भटकती रहती है. यदि अंतिम संस्‍कार रात में कर दिया जाएगा तो आत्‍मा वहां से चली जाएगी. इसके अलावा यह भी मान्‍यता है कि रात में दाह संस्‍कार करने से अगले जन्‍म में व्‍यक्ति के अंग में दोष हो सकता है.

1 दिन में कितने घंटे मोबाइल चलाना चाहिए?

एक व्यक्ति को 1 दिन में कितने घंटे फोन का इस्तेमाल करना चाहिए? एक व्यक्ति को एक दिन में लगभग 1 से 2 घंटे फ़ोन का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ज्यादा मोबाइल चलाने से हमारे आखों और मानशिक में काफी तनाव पड़ता है। २४ घंटे में से मोबाइल का प्रयोग कितना करना चाहये ?

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बच्चे ज्यादा मोबाइल चलाने से क्या होता है?

कम उम्र में स्मार्टफोन की लत की वजह बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं। बाहर खेलने न जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। 5. मनोविशेषज्ञों के पास ऐसे केस भी आते हैं कि बच्चे पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर की तरह ही हरकतें करने लगते हैं।

क्या 15 साल का लड़का बच्चा पैदा कर सकता है?

पिता बनने की सही उम्र- विशेषज्ञों के मुताबिक, पुरुषों के लिए 20 से लेकर 30 साल तक की उम्र पिता बनने के लिए सही है. हालांकि 50 या उससे ज्यादा की उम्र होने पर भी पुरुष बच्चे पैदा कर सकते हैं.

क्या करने से शादी जल्दी होती है?

चने की दान, केला, हल्दी एवं केसर का सेवन लाभप्रद होता है। संभव हो तो गुरूवार का व्रत भी कर सकते हैं। माना जाता है कि घर में जब किसी की शादी हो रही हो तब दूल्हे का सेहरा लेकर सिर पर रखने से कुंवारे लड़के की शादी जल्दी होती है। कन्या को दुल्हन से सिर टकराना चाहिए।

लावारिस लाश का क्या होता है?

ऐसे मामलों में पुलिस मृतक के परिजनों का इंतजार (Unclaimed Dead Body) 3 से 4 दिन तक करती है। अगर शिनाख्त नहीं होती है तो पुलिस ही लावारिस लाश (Unclaimed Dead Body) का अंतिम संस्कार करती है। मृतक के कपड़े मालखाने में जमा करा दिए जाते हैं। सालों तक पड़े रहने के बाद वे खुद ही नष्ट हो जाते हैं और जांच भी बंद हो जाती है।

रात में लाश को क्यों नहीं छोड़ा जाता है?

क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो उसमें से गंध आ सकती है। साथ ही अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो चींटिया या कोई पशु उसको नोंचकर खा सकता है। वहीं एक वजह यह भी है कि अगर शरीर को अकेला छोड़ दिया तो उसकी बुरी आत्माएं उसके शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। इस कारण भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।

दफनाने के बाद शरीर का क्या होता है?

अंग, मांसपेशियां और त्वचा द्रवीभूत हो जाते हैं । जब शरीर के सभी कोमल ऊतक विघटित हो जाते हैं, तो बाल, हड्डियाँ, उपास्थि और क्षय के अन्य उपोत्पाद शेष रह जाते हैं। इस चरण के दौरान शव सबसे अधिक द्रव्यमान खो देता है।

हिंदू धर्म में 16 संस्कार क्या है?

विभिन्न धर्मग्रंथों में संस्कारों के क्रम में थोडा-बहुत अन्तर है, लेकिन प्रचलित संस्कारों के क्रम में गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि ही मान्य है।

जन्म से पहले कितने संस्कार होते हैं?

कुल 16 तरह के संस्कारों का शास्त्रों में वर्णन है। कुछ संस्कार जन्म से पूर्व ही कर लिए जाते हैं और कुछ जन्म के समय पर और कुछ बाद में किए जाते हैं। अब आपको बताते हैं कौन-से हैं वे 16 संस्कार… धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मनचाही संतान के लिए गर्भधारण संस्कार किया जाता है।

कौन से दिन संबंध बनाने से पुत्र की प्राप्ति होती है?

शास्त्रों के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को संतान प्राप्ति के लिए बनाए गए संबंध सबसे ज्यादा शुभ माने जाते हैं। इन हफ्ते के चार दिनों के गर्भधारण से उत्पन्न हुई संतान गुणी और मानसिक रुप से तेज होती है।

कौन सा पौधा लगाने से पुत्र की प्राप्ति होती है?

हिंदू धर्म में पुत्र प्राप्ति के लिए घर में पलाश का पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। पीपल अश्वगंधा का पेड़ लगाने से भी पुत्र प्राप्ति की इच्छा पूर्ण होती है। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख पाया जाता है। इसके अतिरिक्त नीम गुड़हल नागकेशर आदि के पेड़ भी पुत्र प्राप्ति अथवा संतान प्राप्ति के लिए शुभ माने जाते हैं।

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कौन से दिन संबंध बनाने से लड़का पैदा होता है?

शास्त्रों के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को संतान प्राप्ति के लिए बनाए गए संबंध सबसे ज्यादा शुभ माने जाते हैं। इन हफ्ते के चार दिनों के गर्भधारण से उत्पन्न हुई संतान गुणी और मानसिक रुप से तेज होती है।

पेट में लड़का होने की क्या निशानी है?

​बालों और त्‍वचा में बदलाव

भ्रम : कहते हैं कि अगर पेट में लड़का हो तो स्किन पर दाने नहीं आते जबकि लड़की होने पर मां की स्किन खराब हो जाती है। वहीं लड़का होने पर बाल भी घने और सुंदर रहते हैं। तथ्‍य : हार्मोन के स्‍तर में बदलाव के कारण त्‍वचा और बालों में बदलाव आता है।

गर्भ में लड़का है तो क्या खाने का मन करता है?

लेकिन ऐसा माना जाता है कि मीठा खाने की क्रेविंग का संबंध गर्भ में लड़की होने से होता है जबकि नमकीन खाने की इच्‍छा होने का मतलब है लड़का होगा।

झूठ बोलते समय बच्चे क्या करते हैं?

जब कोई बच्‍चा झूठ बोलता है तो अक्‍सर उसकी पलकें बार-बार झपकने लगती हैं। वो डर की वजह से ऐसा करता है। तेजी से आंखें झपकाना भी झूठ बोलने का संकेत हो सकता है। झूठ बोलने के दौरान स्‍ट्रेस या गिल्‍टी से बचने के लिए अक्‍सर लोग ऐसा करते हैं

बच्चे अपने माता पिता से क्या सीख सकते हैं?

सिर्फ मातापिता सिखा सकते हैं बच्चों को जीवन से जुड़े ये सबक और…
  • निस्वार्थ प्यार
  • प्रोत्साहन देना
  • ध्यान रखना
  • गलती पर टोकना

क्या माता पिता अपने बच्चे को घर से निकाल सकते हैं?

कानून ने बुजुर्गों को यह अधिकार दिया है कि यदि बच्चे उनसे दुर्व्यवहार करें, समय पर ठीक भोजन न दें, उनसे नौकर जैसा बर्ताव करें तो मातापिता बेटा-बेटी-दामाद या कोई और, सभी को अपने घर से निकाल सकते हैं। वसीयत से बेदखल कर सकते हैं। यदि वसीयत बच्चों के नाम कर दी है तो उसे बदलवाकर अपनी संपत्ति बच्चों से छीन सकते हैं

एक अच्छे माता पिता कैसे बनें?

अच्छे पिता कैसे बने (Great Father), इसके लिए एक बात ध्यान रखें कि, एक पिता को अपने बच्चे की हर बात सुननी चाहिए। लेकिन, इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि वे मुस्कुराते हुए और सिर हिलाते हुए अपने बच्चों की हर बात पर सहमति दें। एक अच्छा पिता वह है, जो अपने बच्चे की टूटी-फूटी कहानियों को सुनकर उसका जवाब दे सकें।

मृत्यु के समय दर्द क्यों होता है?

इसकी वजह यह बताई जाती है कि जिंदगी के आखिरी लम्हों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर दर्द महसूस न होने देने वाले विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं, दर्द के अभाव में इनसान बेहतर महसूस करने लगता है, गफलत, नीम बेहोशी या बेहोशी के आलम में चला जाता है और अंततः इस आलम से ही निकल जाता है.

मरने से पहले 40 सेकंड क्या होता है?

कहते हैं कि जो पीड़ा नर्क में होती है ठीक वैसी ही पीड़ा मरने से ठीक 40 सेकेंड पहले होती है। मरने से ठीक पहले मनुष्‍य को इस जन्‍म के साथ साथ पिछले कई जन्‍मों के कर्मों का पूरा चित्र हमारे सामने होता है। सब कुछ 40 सेकेण्‍ड के भीतर ही हो जाता है और इसमें काफी पीड़ा होती है।

शमशान घाट में भूत रहते हैं क्या?

श्मशान घाट पर आत्माओं, भूत-प्रेत आदि का निवास भी माना जाता है. यहां अघोरी भी होते हैं इसलिए जैसे ही चंद्रमा आकाश में नजर आने लगे उस समय से लेकर सूर्योदय तक जीवित मनुष्यों को श्मशान घाट या उसके करीब से बिल्कुल भी नहीं गुजरना चाहिए. भगवान शिव और मां काली को श्मशान घाट का भगवान कहा गया है.