वास्तुकला ललितकला की वह शाखा रही है और है, जिसका उद्देश्य औद्योगिकी का सहयोग लेते हुए उपयोगिता की दृष्टि से उत्तम भवननिर्माण करना है, जिनके पर्यावरण सुसंस्कृत एवं कलात्मक रुचि के लिए अत्यन्त प्रिय, सौंदर्य-भावना के पोषक तथा आनन्दकर एवं आनन्दवर्धक हों।
वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
वास्तुकला क्या है, जानिए प्रकार
- वास्तु कला दो प्रकार की होती है-
- उत्तर भारतीय वास्तुशास्त्र एवं दक्षिण भारतीय वास्तुशास्त्र।
- वर्तमान में दोनों का मिश्रण चल रहा है। भारतीय वास्तुशास्त्र का आधार देवता एवं पंच तत्व यथा आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी है।
कला कितने प्रकार के होते हैं?
वर्गीकरण
- स्थापत्य कला (Architecture)
- मूर्त्तिकला (Sculpture)
- चित्रकला (Painting)
- संगीत (Music)
- काव्य (Poetry)
- नृत्य (Dance)
- रंगमंच (Theater/Cinema)
14 विद्या कौन कौन सी हैं?
16 गुणों से युक्त :
- गुणवान (योग्य और कुशल)
- किसी की निंदा न करने वाला (प्रशंसक, सकारात्मक)
- धर्मज्ञ (धर्म का ज्ञान रखने वाला)
- कृतज्ञ (आभारी या आभार जताने वाला विनम्रता)
- सत्य (सत्य बोलने वाला और सच्चा)
- दृढ़प्रतिज्ञ (प्रतिज्ञा पर अटल रहने वाला, दृढ़ निश्चयी )
- सदाचारी (धर्मात्मा, पुण्यात्मा और अच्छे आचरण वाला, आदर्श चरित्र)