कहा जाता है कि पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक कार्य हवन के बिना अधूरा है। इसके जरिए आसपास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को ग्रह शांति के लिए हवन करने की सलाह दी जाती है।
क्या सूर्यास्त के बाद हवन करना उचित है?
लेकिन वास्तु शास्त्र में सूर्यास्त के बाद कुछ चीजों को दान करने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है. हिंदू धर्म में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है. किसी भी तरह की विशेष पूजा, हवन आदि के बाद दान- पुण्य करना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इससे घर में बरकत होती है.
घर में रोज हवन करने से क्या होता है?
- ऋग्वेद के अनुसार हवन करवाना बेहद फायदेमंद माना जाता है, इससे घर की पवित्रता बरकरार रहती है।
- हवन करवाने से प्रदूषण मुक्त होता है वातावरण, सेहत के लिए भी माना जाता है लाभदायक।
- घर में हवन करवाने से होती है आध्यात्मिक शुद्धता, हवन में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों का भी मिलता है फल।
स्त्री हवन क्यों नहीं कर सकती?
किसी हवन या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान भी महिलाएं अकेले मुख्य यजमान नहीं बनतीं. उनके साथ उनके पति का होना अनिवार्य माना गया है. शास्त्रों में इसकी मनाही है.
क्या शाम को हवन करना चाहिए?
हवन करने का सही समय-
अगर इस पूजा के समय की बात करें, तो अष्टमी खत्म होने के अंतिम 24 मिनट तथा नवमी प्रारंभ होने के शुरूआती 24 मिनट का समय इस पूजा के लिए उत्तम होता है. संधि काल का समय दुर्गा पूजा और हवन पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. जिसमें हवन करने पर हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, ऐसी मान्यता है.
क्या लड़कियां हवन कर सकती हैं?
जी हां बिल्कुल कर सकती है किंतु सभी विधि ओर विधान का ज्ञान होना चाहिए। कोई भी कर सकते है।
रात में हवन करने से क्या होता है?
हवन से ग्रह दोष से मिलती है शांति
कहा जाता है कि पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक कार्य हवन के बिना अधूरा है। इसके जरिए आसपास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। ग्रह दोष से पीड़ित व्यक्ति को ग्रह शांति के लिए हवन करने की सलाह दी जाती है।
ज्यादा पूजा पाठ करने से क्या होता है?
इसका सीधा सा उत्तर यह है कि ज्यादा पूजा पाठ करने वाला भक्ति के स्वरूप को नही समझने के कारण पूजा पाठ तो करता है, लेकिन वह अनजाने में सकाम पूजा ही करता है जिसका फल उसे सुख दुख के रूप में ही मिलता है। ज्यादा पूजा पाठ करने वाला बेशक ज्यादा पूजा पाठ या भक्ति करता हुआ नजर आता है लेकिन वह कर्मकांड को ठीक से नही करना जानता है।
घर में रोज कौन सी आरती करनी चाहिए?
पुराणों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके साथ ही शंख और घंटी का प्रयोग आरती में जरूर होना चाहिए।
बिना नहाए पूजा कैसे करें?
जी हाँ बिना नहाए पूजा की जा सकती है और इससे परमेश्वर को कोई फर्क नई पड़ता कि हम नहाए है या नही ओर कोई भी चीज़ हमे बाहर से लग कर इस तरह असुद्ध नही कर सकती कि हम उस स्थिति में परमेश्वर से पूजा या प्राथना न कर सके या परमेश्वर हमारी प्राथना पूजा ग्रहण न करे वो हमारी प्राथना विनती तब भी सुनता है और हमे क़बूल भी करता है जब …
क्या हम बिना नहाए पूजा कर सकते हैं?
इसलिए सुबह पूजा करने के लिए पुरुषों को विवाहित होने पर स्नान करने की आवश्यकता होती है। ब्रह्मचारियों और ब्रह्मचारियों को स्नान करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनके पास विकल्प है, और महिलाओं को सुबह पूजा से पहले स्नान करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि उन्होंने रात को या अपने मासिक धर्म से पहले सेक्स नहीं किया हो ।
स्त्रियों को अकेला क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
Bhagwat Katha में बताया गया है कि यदि पत्नी बीमार हो तो उसे कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उसके साथ रहकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। जिस प्रकार पत्नी अपने पति की बीमारी में उसकी देखभाल करती है उसी प्रकार पति को भी अपनी पत्नी की बीमारी के समय उसकी देखभाल करना चाहिए।
कैसे पता करें कि भगवान हमारे साथ है या नहीं?
अगर आपको रात में नींद के दौरान बार-बार सपने आते हैं और सपनों में मंदिर, भगवान की मूर्ति या फोटो दिखाई देती हैं तो इसका मतलब है कि आप पर भगवान की कृपा बनी हुई है। कई बार ऐसा होता है कि आप किसी चीज को लेने के लिए आगे बढ़ते हैं, लेकिन लेते वक्त आपके मन में उसे लेकर कुछ संशय आ जाता है।
घर के पूजा घर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?
माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल
ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए।
घर में रोज की पूजा कैसे करें?
ये हैं दैनिक पूजा के जरूरी नियम
– दैनिक पूजा का समय निश्चित करें और रोजाना उसकी समय पर पूजा करें. – हमेशा स्नान करके, साफ कपड़े पहनकर, साफ जमीन पर आसन बिछाकर उस पर बैठें. कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. हो सके तो ऊनी आसन पर बैठें.
सिंपल पूजा कैसे करें?
कैसे करें पूजा :
नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। 3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए।
शाम को घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?
– हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा कि बताया गया है कि शाम के वक्त पूजा के दौरान घंटी या शंख नहीं बजाना चाहिए. क्योंकि सूर्य अस्त होने के बाद देवी देवता शयन को चले जाते हैं और घंटी और शंख बजाने से उनके आराम में खलल पड़ता है.
घर के मंदिर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?
माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल
ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए।
स्त्री को जोश कब आता है?
ओव्यलैशन के समय- ओव्यलैशन जैविक रुप से सेक्स का सर्वोत्तम समय है क्योंकि इस वक़्त महिलाओं के हार्मोन्स काफी सक्रिय होते हैं। एस्ट्रोजन का स्तर अक्सर उच्च होता है और कभी-कभार ही कम होता है। साथ ही इस समय प्रोजेस्ट्रॉन का स्तर भी काफी ऊंचा होता है जिससे महिलाओं को सेक्स की डिज़ायर बहुत अधिक होती है।
कौन सी स्त्री अच्छी होती है?
* जो मीठे वचन बोलती है। जिसकी आवाज में मधुरता हो और जो हर किसी से स्नेहिल वाणी में व्यवहार करती हो। * आस्तिक, सेवा भाव रखने वाली, क्षमाशील, दानशील, बुद्धिमान, दयावान और कर्तव्यों का पालन पूर्ण निष्ठा से करने वाली लक्ष्मी का रूप होती है।
घर में कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?
कौन से देवी देवता रखने चाहिए
घर के पूजनस्थल में किन देवी-देवताओं को स्थापित करना चाहिए यह भी वास्तु के लिहाज से आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है।
रात को सोते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
-ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। -राम शिव हरे राम शिव राम राम शिव हरे. रात को सोने से पहले इन सबी मंत्रों का जाप आपके लिए लाभदायक हैं. अगर किसी को रात में नींद न आने की परेशानी है तो वे तो इन मंत्रों का जाप अवश्य करें.
भगवान की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?
यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।
घर में किसकी पूजा करनी चाहिए?
घर के पूजनस्थल में किन देवी-देवताओं को स्थापित करना चाहिए यह भी वास्तु के लिहाज से आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है।
पूजा करते समय क्या बोलना चाहिए?
पूजा में क्षमा मांगने के लिए बोला जाता है ये मंत्र
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
शंख टूटने से क्या होता है?
इस विषय पर शास्त्र कहता है कि शंख का टूटना अशुभ नहीं बल्कि शुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शंख (घर पर शंख रखने के नियम) सकारात्मकता का संचार करता है और ऐसे में अगर ये टूट जाए तो इसका अर्थ होता है कि कोई बुरी बला या होने वाली अशुभ घटना टल गई है।
पूजा घर में क्या नहीं करना चाहिए?
ऐसी मान्यता है कि घर के पूजा स्थल में हमें मूर्तियां नहीं स्थापित करनी चाहिए। इसे गृहस्थ लोगों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। आप इसके स्थान पर तस्वीरों या फिर बहुत छोटी मूर्तियां रख सकते हैं और किसी भी भगवान की एक से अधिक तस्वीर या फिर प्रतिमा न रखें।