समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले हलाहल अर्थात विष निकला। इस जहर के प्रभाव से सृष्टि नष्ट न हो जाए इसलिए भगवान शिव ने इसका पान कर लिया। विष शिवजी के कंठ से नीचे न उतरे इसलिए माता पार्वती ने उसे अपने हाथ से रोक लिया। इस विष के प्रभाव से भगवान शंकर का गला नीला हो गया और शिवजी नीलकंठ कहलाए।
शंकर भगवान कौन सा नशा करते थे?
प्रश्न : क्या भगवान शंकर भांग का सेवन करते थे या किसी भी प्रकार का नशा करते थे? उत्तर : इसका उत्तर है नहीं। शिव पुराण सहित किसी भी ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान शिव भांग का सेवन करते थे। बहुत से लोगों ने भगवान शिव के ऐसे भी चित्र बना लिए हैं जिसमें वे चिलम पीते हुए नजर आते हैं।
शंकर भगवान क्या खाते थे?
इसलिए पूरे शरीर पर भस्म लगाते हैं शिव-
एक संत था जो खूब तपस्या करके शक्तिशाली हो चुका था. वह केवल फल और हरी पत्तियां खाते थे इसलिए उनका नाम प्रनद पड़ गया था.
महादेव के गले में सांप क्यों रहता है?
गले में रहने का दिया वरदान
जो पूरे सच्चे भाव के शिव जी की भक्ति किया करते थे. शिव जी वासुकी की श्रद्धा-भाव से पूर्ण भक्ति देखकर बेहद खुश हुए और वासुकी को गले में धारण करने का वरदान दिया. शिव की भक्ति से मिले इस वरदान के कारण ही एक सांप भगवान शिव के गले में लिपटा हुआ नजर आता है.
शिव जी ने जहर कब पिया था?
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष शिव ने इसी स्थान पर पिया था। विष पीने के बाद उनका गला नीला पड़ गया, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा गया। कहा जाता है कि भगवान शिव ने जब विष ग्रहण किया था तो उसी समय पार्वती ने उनका गला दबाया, ताकि विष उनके पेट तक न पहुंच सके। इस तरह विष उनके गले में बना रहा।
महादेव जहर क्यों पीते हैं?
समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले हलाहल अर्थात विष निकला। इस जहर के प्रभाव से सृष्टि नष्ट न हो जाए इसलिए भगवान शिव ने इसका पान कर लिया। विष शिवजी के कंठ से नीचे न उतरे इसलिए माता पार्वती ने उसे अपने हाथ से रोक लिया। इस विष के प्रभाव से भगवान शंकर का गला नीला हो गया और शिवजी नीलकंठ कहलाए।
शंकर भगवान क्या खाते हैं?
ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को भांग और धतूरा बहुत पसंद है.
भगवान शंकर के बाप कौन थे?
उपरोक्त शिव महापुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि श्री शकंर जी की माता श्री दुर्गा देवी (अष्टंगी देवी) है तथा पिता सदाशिव अर्थात् “काल ब्रह्म” है।
शिव अपने गले में सांप क्यों डालते हैं?
गले में रहने का दिया वरदान
जो पूरे सच्चे भाव के शिव जी की भक्ति किया करते थे. शिव जी वासुकी की श्रद्धा-भाव से पूर्ण भक्ति देखकर बेहद खुश हुए और वासुकी को गले में धारण करने का वरदान दिया. शिव की भक्ति से मिले इस वरदान के कारण ही एक सांप भगवान शिव के गले में लिपटा हुआ नजर आता है.
महादेव को क्या प्रिय है?
शिव को बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन का स्नान प्रिय हैं। इनकी पूजा के लिये दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद इन पांच अमृत जिसे पञ्चामृत कहा जाता है, से की जाती है।
शिव जी को कौन सा रंग पसंद है?
धर्म शास्त्रों के मुताबिक हरा रंग भोलेनाथ का प्रिय रंग होता है। ऐसे में सिर्फ सावन सोमवार में ही नहीं बल्कि भक्त शिवरात्रि के दौरान भी हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इसके अलावा शिव जी के दौरान आप हरे रंग के अलावा संतरी, पीले, सफेद और लाल रंग के कपड़े भी धारण कर सकते हैं।
शंकर जी का भाई कौन था?
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शिव |
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शिव जी को भोग में क्या पसंद है?
भगवान शिव को भांग और पंचामृत का नैवेद्य पसंद होता है। इसके अलावा उन्हें रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी चढ़ाई जाती है। सावन के महीने में भोले बाबा का व्रत रखकर उन्हें गुड़, चना और चिरौंजी का भोग लगाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शिव जी की मृत्यु कैसे हुई?
शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है यानि इनकी उत्पत्ति स्वंय हुई हैं. शिव जन्म और मृत्यु से परे हैं.
शिव के कितने बच्चे हैं?
Bhagwan Shiv ke 7 Putra: हम सभी में से ज़्यादातर लोगों को भगवान शिव (Lord Shiva) के दो पुत्रों गणेश जी (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) के बारे में पता है, लेकिन हिन्दू पुराणों में भगवान शिव के और 5 पुत्रों का उल्लेख मिलता है. भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य के पहले पूजा की जाती है.
महिलाओं को शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं है?
दरअसल कहा जाता है कि शिवलिंग को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को हाथ नहीं लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि लिंग पुरुष का अंग होता है, इसलिए कुंवारी महिलाओं को इसे नहीं छूना चाहिए. पुरुषों को शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. अगर महिलाएं शिव जी की पूजा करती भी हैं तो उन्हें शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए, शिवलिंग की नहीं.
भोलेनाथ की बेटी का नाम क्या है?
पद्म पुराण में भी शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है. माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की जिससे एक सुंदर सी पुत्री का जन्म हुआ. इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया.
भोलेनाथ क्या खाते थे?
शिव पुराण में इस संबंध में एक बहुत ही दिलचस्प कहानी मिलती है. एक संत था जो खूब तपस्या करके शक्तिशाली हो चुका था. वह केवल फल और हरी पत्तियां खाते थे इसलिए उनका नाम प्रनद पड़ गया था. अपनी तपस्या के जरिए उस साधु ने जंगल के सभी जीव-जंतुओं पर नियंत्रण स्थापित कर लिया था.
मृत्यु की देवी कौन है?
मां काली मृत्यु की देवी भी मानी जाती हैं।
भोलेनाथ का प्रिय रंग कौन सा है?
धर्म शास्त्रों के मुताबिक हरा रंग भोलेनाथ का प्रिय रंग होता है। ऐसे में सिर्फ सावन सोमवार में ही नहीं बल्कि भक्त शिवरात्रि के दौरान भी हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इसके अलावा शिव जी के दौरान आप हरे रंग के अलावा संतरी, पीले, सफेद और लाल रंग के कपड़े भी धारण कर सकते हैं।
शिव जी को कौन सा रंग पसंद नहीं है?
महाशिवरात्रि पर काले रंग के कपड़ों को पहनना पूरी तरह वर्जित किया गया है. कहा जाता है कि काले रंग के कपड़े शिव जी (Shiv Ji) को बिल्कुल पसंद नहीं हैं.
स्त्री को किसकी पूजा करनी चाहिए?
महिलाओं को शिव की पूजा मूर्ति रूप में करनी चाहिए.
क्या तुलसी के पास शिवलिंग रख सकते हैं?
तुलसी के पास न रखें शिवलिंग
कई लोग तुलसी के गमले में शिवलिंग रख देते हैं और वहीं तुलसी और शिवलिंग का पूजन करते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार कभी ही तुलसी के पौधे में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। दरअसल तुलसी का पूर्व जन्म में नाम वृंदा था और वह जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी।
भगवान शिव को सबसे प्रिय क्या है?
शिव को बिल्वपत्र, पुष्प, चन्दन का स्नान प्रिय हैं। इनकी पूजा के लिये दूध, दही, घी, गंगाजल, शहद इन पांच अमृत जिसे पञ्चामृत कहा जाता है, से की जाती है। शिव का त्रिशूल और डमरू की ध्वनि मंगल, गुरु से संबंधित हैं।
शिव जी को कौन सा फल पसंद है?
1. धतूरे का फल : शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर धतूरे का फल और फूल चढ़ाने से दुखों से छुटकारा मिलता और संतान प्राप्ति और भी अन्य प्रकार की की मनोकामना पूर्ण होती है। 3. बेर फल : बेर का फल शिवजी को बहुत पसंद है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
शिव भगवान पर कौन सा फूल नहीं चढ़ता?
शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। मान्यता है कि इन वस्तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।