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भगवान की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?

यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।

शाम को घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?

– हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा कि बताया गया है कि शाम के वक्त पूजा के दौरान घंटी या शंख नहीं बजाना चाहिए. क्योंकि सूर्य अस्त होने के बाद देवी देवता शयन को चले जाते हैं और घंटी और शंख बजाने से उनके आराम में खलल पड़ता है.

भगवान की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

हिंदू प्राचीन ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि भगवान की पूजा सूर्य अस्त होने के बाद करनी चाहिए, सूर्य अस्त होने के कुछ ही देर बाद यानी 6:00 से 7:00 के बीच में पूजा कर लेनी चाहिए.

शाम की पूजा का सही समय क्या है?

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

सूर्यास्त के एक घंटे पहले और सूर्यास्त के एक घंटे बाद तक का समय शाम की पूजा के लिए उत्तम माना गया है। कभी भी संध्याकाल की पूजा रात्रि में नहीं करनी चाहिए। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सुबह की पूजा में शंख और घंटी बजाने से सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।

पूजा करते समय क्या नहीं करना चाहिए?

श्रीमद्भागवत गीता में बताया गया है कि पूजा करते समय कभी भी एक हाथ से प्रणाम नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पुण्य नष्ट हो जाते हैं। प्रणाम हमेशा दोनो हाथ जोड़कर किया दाता है।

शंख टूटने से क्या होता है?

इस विषय पर शास्त्र कहता है कि शंख का टूटना अशुभ नहीं बल्कि शुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शंख (घर पर शंख रखने के नियम) सकारात्मकता का संचार करता है और ऐसे में अगर ये टूट जाए तो इसका अर्थ होता है कि कोई बुरी बला या होने वाली अशुभ घटना टल गई है।

पूजा घर में क्या नहीं करना चाहिए?

ऐसी मान्‍यता है कि घर के पूजा स्‍थल में हमें मूर्तियां नहीं स्‍थापित करनी चाहिए। इसे गृहस्‍थ लोगों के लिए अच्‍छा नहीं माना जाता है। आप इसके स्‍थान पर तस्‍वीरों या फिर बहुत छोटी मूर्तियां रख सकते हैं और किसी भी भगवान की एक से अधिक तस्‍वीर या फिर प्रतिमा न रखें।

घर के पूजा घर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?

माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल

ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए

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क्या हम बिना नहाए पूजा कर सकते हैं?

इसलिए सुबह पूजा करने के लिए पुरुषों को विवाहित होने पर स्नान करने की आवश्यकता होती है। ब्रह्मचारियों और ब्रह्मचारियों को स्नान करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनके पास विकल्प है, और महिलाओं को सुबह पूजा से पहले स्नान करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि उन्होंने रात को या अपने मासिक धर्म से पहले सेक्स नहीं किया हो

घर में रोज कौन सी आरती करनी चाहिए?

पुराणों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके साथ ही शंख और घंटी का प्रयोग आरती में जरूर होना चाहिए

बिना नहाए पूजा कैसे करें?

जी हाँ बिना नहाए पूजा की जा सकती है और इससे परमेश्वर को कोई फर्क नई पड़ता कि हम नहाए है या नही ओर कोई भी चीज़ हमे बाहर से लग कर इस तरह असुद्ध नही कर सकती कि हम उस स्थिति में परमेश्वर से पूजा या प्राथना न कर सके या परमेश्वर हमारी प्राथना पूजा ग्रहण न करे वो हमारी प्राथना विनती तब भी सुनता है और हमे क़बूल भी करता है जब …

स्त्री को किसकी पूजा करनी चाहिए?

महिलाओं को श‍िव की पूजा मूर्ति रूप में करनी चाहिए.

शंख को चावल के नीचे क्यों नहीं रहता?

ऐसा चावल के बैग के अंदर बने कम दबाव के कारण होता है, जो भरते समय बनता है। इस प्रकार हवा शंख में निरंतर प्रवेश होती रहती है, और इस प्रकार वह ऊपर की ओर उठता रहता है।

घर में कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?

कौन से देवी देवता रखने चाहिए

घर के पूजनस्थल में किन देवी-देवताओं को स्थापित करना चाहिए यह भी वास्तु के लिहाज से आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है।

घर के मंदिर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?

माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल

ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए

घर में रोज की पूजा कैसे करें?

ये हैं दैनिक पूजा के जरूरी नियम

– दैनिक पूजा का समय निश्चित करें और रोजाना उसकी समय पर पूजा करें. – हमेशा स्‍नान करके, साफ कपड़े पहनकर, साफ जमीन पर आसन बिछाकर उस पर बैठें. कभी भी जमीन पर सीधे बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए. हो सके तो ऊनी आसन पर बैठें.

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सिंपल पूजा कैसे करें?

कैसे करें पूजा :

नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। 3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए।

महिलाओं को शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं है?

दरअसल कहा जाता है कि शिवलिंग को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को हाथ नहीं लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि लिंग पुरुष का अंग होता है, इसलिए कुंवारी महिलाओं को इसे नहीं छूना चाहिए. पुरुषों को शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. अगर महिलाएं शिव जी की पूजा करती भी हैं तो उन्हें शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए, शिवलिंग की नहीं.

शंख में पानी भरकर रखने से क्या होता है?

शंख को लेकर वैज्ञानिक तथ्य यह कहा जाता है कि शंख का जल खराब नहीं होता है। साथ ही उसके छिड़कने से कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का भी नाश हो जाता है। शंख में जो गंधक, कैल्सियम और फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है, उसके अंश जल में आ जाते हैं। इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

भगवान की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?

यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।

सुबह कितने बजे तक पूजा करना चाहिए?

कुछ लोग पूजा सुबह 6:00 बजे से लेकर 8:00 बजे के बीच में करने को सही समय मानते हैं. तो बता दे कि भगवान की पूजा सुबह 8:00 बजे के बाद में भी की जा सकती है. पूजा करने का नियमित समय सुबह 10:00 बजे तक का होता है, इसके बाद भगवान की पूजा करना अशुभ माना जाता है.

मेन गेट पर कौन सा फोटो लगाना चाहिए?

4- मेनगेट पर हमें स्वास्तिक, ऊँ या भगवान गणेश की प्रतिमा लगानी चाहिए। ऐसा करने से शुभता में वृद्धि होती है और घर में सुख –समृद्धि का आगमन होता है।

सुबह उठते ही मुख्य द्वार पर क्या करना चाहिए?

घर के प्रवेश द्वार पर ओम, श्री गणेश, मां लक्ष्‍मी के चरण चिन्‍ह और शुभ-लाभ के प्रतीक चिह्नों को लगाएं। इससे आपके घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होगा और नकारात्‍मक ऊर्जा का क्षय होगा। ख्‍याल रखें कि सुबह जब भी मुख्‍य द्वार खोलें तो सर्वप्रथम इन प्रतीक चिन्‍हों को प्रणाम करें, इसके बाद ही द्वार खोलें।

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रात को सोते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

घर में किसकी पूजा करनी चाहिए?

घर के पूजनस्थल में किन देवी-देवताओं को स्थापित करना चाहिए यह भी वास्तु के लिहाज से आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है।

पूजा करते समय क्या बोलना चाहिए?

पूजा में क्षमा मांगने के लिए बोला जाता है ये मंत्र

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।

क्या तुलसी के पास शिवलिंग रख सकते हैं?

तुलसी के पास न रखें शिवलिंग

कई लोग तुलसी के गमले में शिवलिंग रख देते हैं और वहीं तुलसी और शिवलिंग का पूजन करते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार कभी ही तुलसी के पौधे में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। दरअसल तुलसी का पूर्व जन्म में नाम वृंदा था और वह जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी।

रोज किसकी पूजा करनी चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार इन पंचदेवों की पूजा करनी चाहिए—सूर्य, गणेश, दुर्गा, शंकर एवं विष्णु। सबसे पहले सूर्य की पूजा की जाती है। अब समयानुसार यह क्रम थोड़ा परिवर्तित हो गया।

घर में शंख टूटने से क्या होता है?

इस विषय पर शास्त्र कहता है कि शंख का टूटना अशुभ नहीं बल्कि शुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शंख (घर पर शंख रखने के नियम) सकारात्मकता का संचार करता है और ऐसे में अगर ये टूट जाए तो इसका अर्थ होता है कि कोई बुरी बला या होने वाली अशुभ घटना टल गई है।

ज्यादा पूजा पाठ करने से क्या होता है?

इसका सीधा सा उत्तर यह है कि ज्यादा पूजा पाठ करने वाला भक्ति के स्वरूप को नही समझने के कारण पूजा पाठ तो करता है, लेकिन वह अनजाने में सकाम पूजा ही करता है जिसका फल उसे सुख दुख के रूप में ही मिलता है। ज्यादा पूजा पाठ करने वाला बेशक ज्यादा पूजा पाठ या भक्ति करता हुआ नजर आता है लेकिन वह कर्मकांड को ठीक से नही करना जानता है।

सुबह सुबह हनुमान जी का नाम क्यों नहीं लेना चाहिए?

रामचरित मानस के सुंदरकांड में हनुमानजी कहते हैं कि ‘प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥’ अर्थात मैं जिस कुल से यानी वानर कुल से हूं अगर सुबहसुबह उसका नाम ले लेता है तो उस दिन उसको भोजन भी मुश्किल से मिलता है। इसलिए सुबह बिना अन्न जल ग्रहण किए वानर नाम नहीं लेना चाहिए

हनुमान जी को कौन सा रंग पसंद है?

हनुमान जी को लाल या नारंगी बेहद पसंद है. मंगलवार के दिन केसरिया या लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है.