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बेलपत्र तोड़ते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए-अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।

बेलपत्र तोड़ने का क्या नियम है?

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते वक्त बोले ये मंत्र

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुधम् । त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम् ॥ अखण्डै बिल्वपत्रैश्च पूजये शिव शंकरम् । कोटिकन्या महादानं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् ॥

बिल्व पत्र कब तोड़े?

चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.

शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से क्या लाभ होता है?

बेलपत्र को कभी भी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को तथा दोपहर के बाद नहीं तोड़ना चाहिए। इन तिथियों को बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं। इसलिए कभी भी इन तिथियों को बेलपत्र नहीं तोड़ने चाहिए।

शिवलिंग पर राम लिखने से क्या होता है?

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाना है शुभ

शिव पुराण के अनुसार, आपके पास जितने बेलपत्र हो उतने ही चढ़ा सकते हैं। वैसे तो शिवजी को 3 से लेकर 11 बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है।

शिवलिंग टूटने से क्या होता है?

शिवलिंग पर रोजाना चावल के 5 दाने चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं एवं अपने भक्तों को धन धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति शिवलिंग पर नियम से अक्षत (भगवान पर अक्षत चढ़ाने का मंत्र) चढ़ाता है उसे धन लाभ होता है।

बेलपत्र के पास दीपक जलाने से क्या होता है?

प्रधान पुजारी कहते हैं कि सावन माह वैसे भी शिव को प्रिय होता है। इसमें जो भी भक्त चंदन से राम का नाम लिखकर बेलपत्र भोले बाबा को अर्पित करते हैं, उनका हर मनोरथ पूरा होता है। वहीं धन-धान्य की प्राप्ति भी होती है।

5 पत्ते वाला बेल पत्र मिलने से क्या होता है?

शास्त्रों में बताया गया है कि अगर शिवलिंग खंडित हो जाता है तो उसे खंडित नहीं माना जाता। वह कितनी बार भी खंडित हो जाए, उसकी पवित्रता हमेशा बनी रहती है और पूजनीय माना जाता है। शिवलिंग किसी भी स्थान से टूट जाए, उसे बदलने की परंपरा नहीं है। क्योंकि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के साथ-साथ निराकार भी है।

बिल्व पत्र शिवलिंग पर क्यों चढ़ाया जाता है?

बेलपत्र के पेड़ के नीचे दिया लगाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

शिव जी को कौन सा रंग पसंद है?

भट्ट ने बताया धर्म शास्त्रों में 5 पत्तों के बेलपत्र का मतलब पांच प्रमुख देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और मां भगवती से होता है। 4 पत्तों से चार वेदों का होता है। ऐसा ही 9 पत्तों का महत्व नव दुर्गा से है।

शिव का राम कौन है?

ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने और शिवजी को उनकी प्रिय वस्‍तुएं चढ़ाने से भोलेबाबा अतिशीघ्र प्रसन्‍न हो जाते हैं। शिवजी की सबसे प्रिय वस्‍तु मानी जाती है बेलपत्र। कहते हैं माता पार्वती ने स्‍वयं शिवजी की पूजा बेलपत्र से की थी, इसलिए शिवजी को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं।

शिवलिंग किसका रूप है?

धर्म शास्त्रों के मुताबिक हरा रंग भोलेनाथ का प्रिय रंग होता है। ऐसे में सिर्फ सावन सोमवार में ही नहीं बल्कि भक्त शिवरात्रि के दौरान भी हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं। इसके अलावा शिव जी के दौरान आप हरे रंग के अलावा संतरी, पीले, सफेद और लाल रंग के कपड़े भी धारण कर सकते हैं।

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क्या हम घर पर लिंगम रख सकते हैं?

राम विष्णु के अवतार हैं, रक्षा के देवता हैं । विष्णु तीन सबसे महत्वपूर्ण हिंदू देवताओं में से एक है – ब्रह्मा निर्माता, विष्णु रक्षक, और शिव संहारक। विष्णु के विभिन्न प्राणियों के रूप में पृथ्वी पर नौ अवतार हुए हैं। इनमें से एक राम के रूप में है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है. (The universe is a sign of Shiva Lingam.) शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-अनादि एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतीक भी अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है बल्कि दोनों का समान है।

बेलपत्र तोड़ते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

घर में शिवलिंग की दिशा उत्तर और पूर्व तक सीमित है क्योंकि दक्षिणमुखी शिवलिंग को अशुभ माना जाता है। वास्तु विशेषज्ञ घर में एक ही शिवलिंग रखने की सलाह देते हैं । आपको भगवान शिव के विभिन्न प्रतीकों को एक ही स्थान पर नहीं रखना चाहिए।

तुलसी के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से क्या होता है?

शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र

मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।

शिव जी पर कितने बेलपत्र अर्पित करने चाहिए?

बेल के पत्ते तोड़ने से पहले निम्न मंत्र का उच्चरण करना चाहिए-अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा। गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ भावार्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।

बेलपत्र के पेड़ के नीचे दीपक कब लगाना चाहिए?

इसके अलावा शाम के वक्‍त तुलसी के पेड़े का घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से तुलसी माता प्रसन्‍न होती हैतुलसी को मां लक्ष्‍मी का ही रूप माना जाता है। इसलिए तुलसी को प्रसन्‍न करने से आपके घर में सदैव मां लक्ष्‍मी का वास होता है आपको धन की प्राप्ति होती है

बेलपत्र चढ़ाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

किसी बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे दीपावली की शाम दीपक लगाएं. बिल्व पत्र भगवान शिव का प्रिय वृक्ष है. अत: यहां दीपक लगाने पर उनकी कृपा प्राप्त होती है.

चांदी का बेलपत्र चढ़ाने से क्या होता है?

चांदी के बेलपत्र– शास्त्रों के अनुसार, बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि सावन के महीने में चांदी के बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसके अलावा, जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है.

स्त्री को किसकी पूजा करनी चाहिए?

महिलाओं को श‍िव की पूजा मूर्ति रूप में करनी चाहिए.

क्या तुलसी के पास शिवलिंग रख सकते हैं?

तुलसी के पास न रखें शिवलिंग

कई लोग तुलसी के गमले में शिवलिंग रख देते हैं और वहीं तुलसी और शिवलिंग का पूजन करते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार कभी ही तुलसी के पौधे में शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। दरअसल तुलसी का पूर्व जन्म में नाम वृंदा था और वह जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी।

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शिव के कितने बच्चे हैं?

Bhagwan Shiv ke 7 Putra: हम सभी में से ज़्यादातर लोगों को भगवान शिव (Lord Shiva) के दो पुत्रों गणेश जी (Lord Ganesh) और भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) के बारे में पता है, लेकिन हिन्दू पुराणों में भगवान शिव के और 5 पुत्रों का उल्लेख मिलता है. भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य के पहले पूजा की जाती है.

शिवलिंग में योनि क्या है?

योनी, (संस्कृत: “निवास,” “स्रोत,” “गर्भ,” या “योनि”) हिंदू धर्म में, देवी शक्ति का प्रतीक, स्त्री जनन शक्ति और, एक देवी के रूप में, शिव की पत्नी । शैव धर्म में, भगवान शिव की पूजा करने के लिए समर्पित हिंदू धर्म की शाखा, योनी को अक्सर लिंगम से जोड़ा जाता है, जो शिव का प्रतीक है।

शिव जी की मृत्यु कैसे हुई?

शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है यानि इनकी उत्पत्ति स्वंय हुई हैं. शिव जन्म और मृत्यु से परे हैं.

महिलाओं को शिवलिंग को छूने की अनुमति क्यों नहीं है?

दरअसल कहा जाता है कि शिवलिंग को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को हाथ नहीं लगाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि लिंग पुरुष का अंग होता है, इसलिए कुंवारी महिलाओं को इसे नहीं छूना चाहिए. पुरुषों को शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. अगर महिलाएं शिव जी की पूजा करती भी हैं तो उन्हें शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए, शिवलिंग की नहीं.

शिवलिंग पर कौन सा दूध चढ़ाना चाहिए?

शिवजी को जल्द ही प्रसन्न के लिए शिव पर प्रतिदिन कच्चा गाय का दूध अर्पित करें। गाय को माता माना गया है अत: गौमाता का दूध पवित्र और पूजनीय है। इसे शिव पर चढ़ाने से महादेव श्रद्धालु की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

तुलसी के पास कौन सी पांच चीजें नहीं रखनी चाहिए?

तुलसी के आस-पास कभी भी जूते या चप्पल नहीं रखना चाहिए. तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. माना जाता है कि तुलसी के पास जूते-चप्पल रखने से माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं. तुलसी के गमले में कभी भी शिवलिंग नहीं रखना चाहिए.

तुलसी में दीपक कब नहीं चलना चाहिए?

तुलसी के पत्ते हमेशा प्रातः काल ही तोड़ने चाहिए. अन्य समय पर नहीं तोड़ने चाहिए. रविवार के दिन तुलसी के नीचे दीपक नहीं जलाने चाहिए.

बेलपत्र कौन दिन तोड़ना चाहिए?

शिव पुराण के अनुसार, बेलपत्र उस दिन नहीं तोड़ना चाहिए जिस दिन भगवान शिव को समर्पित दिन होता है। इसलिए सावन सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ने के बजाय एक दिन पहले यानी रविवार के दिन ही बेलपत्र तोड़ लें तो अच्छा है।

बेलपत्र के नीचे दीपक रखने से क्या होता है?

बेल पेड़ की घी के दीपक से पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है. तथा भक्तो की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं. बेल पेड़ की पूजा करने से तथा रोजाना दर्शन करने से हमारे कष्टों का निवारण होता हैं. घर में बेल का पेड़ लगाकर पूजा-अर्चना करने से धन की प्राप्ति होती है. तथा सभी दुखो से मुक्ति मिलती हैं.

शिव जी को कौन सा फल पसंद है?

1. धतूरे का फल : शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर धतूरे का फल और फूल चढ़ाने से दुखों से छुटकारा मिलता और संतान प्राप्ति और भी अन्य प्रकार की की मनोकामना पूर्ण होती है। 3. बेर फल : बेर का फल शिवजी को बहुत पसंद है।

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शिव भगवान पर कौन सा फूल नहीं चढ़ता?

श‍िवल‍िंग पर कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। मान्‍यता है क‍ि इन वस्‍तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं म‍िलता है। ध्‍यान रखें क‍ि श‍िवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए।

पूजा घर में क्या नहीं करना चाहिए?

वास्तु के अनुसार, पूजा घर में कभी भी एक ही देवी-देवता की अधिक मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. वास्तु में इसे अशुभ माना गया है. इसके अलावा मंदिर में कभी भी रौद्र रूप वाली मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए. ऐसी तस्वीर या मूर्ति रखने से अनिष्ट होता है.

लिंगम कैसे लगाते हैं?

शिवलिंग लगाने के लिए सबसे अच्छी दिशा उत्तर है । यदि आप आर्थिक अस्थिरता से पीड़ित हैं तो शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखना सहायक माना जाता है। एक और दिशा जो शिवलिंग स्थापित करने के लिए अनुशंसित है वह पूर्व दिशा है। उत्तर दिशा भगवान शिव की प्रिय दिशा मानी जाती है।

भोलेनाथ की बेटी का नाम क्या है?

पद्म पुराण में भी शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का जिक्र किया गया है. माना जाता है कि देवी पार्वती अपने अकेलेपन और उदासी से मुक्ति पाने के लिए कल्प वृक्ष से पुत्री की कामना की जिससे एक सुंदर सी पुत्री का जन्म हुआ. इसलिए उसका नाम अशोक सुंदरी रखा गया.

मृत्यु की देवी कौन है?

मां काली मृत्यु की देवी भी मानी जाती हैं।

शिवलिंग टूट जाए तो क्या होता है?

शास्त्रों में बताया गया है कि अगर शिवलिंग खंडित हो जाता है तो उसे खंडित नहीं माना जाता। वह कितनी बार भी खंडित हो जाए, उसकी पवित्रता हमेशा बनी रहती है और पूजनीय माना जाता है। शिवलिंग किसी भी स्थान से टूट जाए, उसे बदलने की परंपरा नहीं है। क्योंकि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के साथ-साथ निराकार भी है।

शिवलिंग भगवान शिव का कौन सा अंग है?

क्योंकि इस उत्तर दिशा में भगवान शिव जी का बाया अंग होता है और शक्ति रूपा देवी उमा/पार्वती जी का स्थान होता है। शिवलिंग को शिवलिंग क्यों कहा जाता है? इसे सुनेंरोकेंलिंग रूप में इन्हें समस्त ब्रह्मांड में पूजा जाता है क्योंकि वो समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं. इसलिए शिव मूर्ति और लिंग दोनों रूप में पूजे जाते हैं.

सूर्य भगवान को जल में क्या डालें?

भविष्य पुराण के अनुसार रोज सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। जल अर्पित करते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। इस जाप के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करना चाहिए।

सूर्य भगवान को जल में क्या क्या डालना चाहिए?

सूर्य को कैसे अर्पित करें जल

सूर्य को जल देते समय ”ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए। ध्यान रहे सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। जल में रोली या फिर लाल चंदन का प्रयोग करें। इसके अलावा लाल फूल भी सूर्य देव को अर्पित करना शुभ माना जाता है।