वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।
बसंत पंचमी क्यों मनाया जाता है?
मान्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इसी वजह से ज्ञान के उपासक सभी लोग वसंत पंचमी के दिन अपनी आराध्य देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं.
बसंत पंचमी के पीछे की कहानी क्या है?
इस प्रकार वसंत पंचमी को "मदन पंचमी" के नाम से भी जाना जाता है। प्रद्युम्न रुक्मिणी और कृष्ण के पुत्र हैं। वह पृथ्वी (और उसके लोगों) के जुनून को जगाता है और इस तरह दुनिया नए सिरे से खिलती है। इसे उस दिन के रूप में याद किया जाता है जब संतों (ऋषियों) ने शिव को अपने यौगिक ध्यान से जगाने के लिए काम से संपर्क किया था।
बसंत पंचमी का मतलब क्या है?
'वसंत' शब्द का अर्थ है बसंत और 'पंचमी' का पांचवें दिन, इसलिये माघ महीने में जब वसंत ऋतु का आगमन होता है तो इस महीने के 5वे दिन यानी पंचमी को वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन स्कूल और कॉलेजों में माँ सरस्वती का पूजन होता है और सभी विद्यार्थी विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा करते हैं.
बसंत पंचमी के दिन किसका जन्म हुआ?
मान्यता के अनुसार इस दिन ज्ञान, विद्या, वाणी, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था. बसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाते हैं. इस बार बसंत पंचमी 5 फरवरी 2022, दिन शनिवार को मनाई जाएगी.
मां सरस्वती का जन्म कैसे हुआ?
सरस्वती पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्मा ने सीधे अपने वीर्य से सरस्वती को जन्म दिया था। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती की कोई मां नहीं केवल पिता, ब्रह्मा थे। स्वयं ब्रह्मा भी सरस्वती के आकर्षण से खुद को बचाकर नहीं रख पाए और उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाने पर विचार करने लगे।
बसंत पंचमी को किसका जन्म हुआ?
बसंत पंचमी माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन को सरस्वती और लक्ष्मी देवी का जन्म दिवस भी माना जाता है। इस पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है क्योंकि बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है, जो सभी ऋतुओं का राजा होता है।
माँ सरस्वती के वस्त्र कैसे है?
देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदी अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।
बसंत का क्या मतलब होता है?
बसंत नाम का मतलब – Basant ka arth
आपको बता दें कि बसंत का मतलब स्प्रिंग, जो इच्छाओं bestows होता है। स्प्रिंग, जो इच्छाओं bestows होना बहुत अच्छा माना जाता है और इसकी झलक बसंत नाम के लोगों में भी दिखती है।
घर में सरस्वती पूजा कैसे करें?
- 05 फरवरी वसंत पंचमी के दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहन लें. …
- अब पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें. …
- अब मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं. …
- बेसन के लड्डू या बर्फी या फिर पीले रंग की कोई भी मिठाई का भोग लगाएं.
धूप में सफेद कपड़े क्यों पहनते हैं?
Solution : सफेद कपड़े ऊष्मा के बुरे अवशोषक एवं उत्तम परावर्तक होते हैं जिसके कारण सूर्य की ऊष्मा को बिना अवशोषित किये परावर्तित कर देते हैं जिससे कपड़े शीघ्र गरम नहीं होते हैं और हमें गर्मी नहीं लगती है।
सर्दियों में किस रंग के कपड़े पहनने चाहिए और क्यों?
Solution : सफेद कपड़े विकिरण ऊष्मा के अच्छे परावर्तक होते हैं तथा रंगीन कपड़े अपने ऊपर आपतित अधिकांश विकिरण ऊष्मा को अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए गर्मियों में सफेद कपड़े हमें गर्मी महसूस नहीं होने देते तथा सर्दियों में रंगीन कपड़े हमें गर्म रखते हैं।
बसंत नाम के लोग कैसे रहते हैं?
बसंत नाम के लोग अपने दोस्तों व आस-पास के लोगों से काफी प्रेम रखते हैं और अपनी नौकरी व काम के प्रति काफी ईमानदारी रहते हैं। बसंत नाम को लोगों को बदलाव से सख्त नफरत है। मेष राशि के लोगों को बदलाव पसंद नहीं होता, इसलिए ये लोग अक्सर हठी स्वभाव के बन जाते हैं।
बसंत नाम के लड़के कैसे होते हैं?
वसंत नाम की राशि – Vasant naam ka rashifal
वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस राशिवालों के लिए शुभ दिन शुक्रवार और बुधवार होते हैं। कुलस्वामिनी को वृषभ राशि के वसंत नाम के लड़कों का आराध्य माना जाता है। वसंत नाम के लड़कों का गला स्वास्थ्य की स्थिति से ठीक नहीं रहता।
मां सरस्वती को कौन सा रंग पसंद है?
मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का भी प्रिय रंग है. इसके अलावा मां सरस्वती को वसंत पंचमी के पूजा के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इसलिए लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं.
मां सरस्वती को कौन सा फूल पसंद है?
देवी सरस्वती को पीले और सफेद रंग के फूल पसंद है। इन फूलों से देवी की पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होती है। इसके साथ ही आप गेंदे और सरसों के फूल भी मां को अर्पित कर सकते हैं। वसंत पंचमी के दिन पीले रंग का विशेष महत्व है इसलिए सफेद की बजाय पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें तो यह बहुत शुभ होता है।
बेटे की शादी में मां क्यों नहीं जाती?
बता दें कि बेटे की शादी में मां का शामिल न होने का कारण घर की देखभाल करना होता था। क्योंकि घर के सभी लोग शादी में चले जाते थे। पीछे से घर की देखभाल और मेहमानों की जरूरतों का ध्यान रखने के लिए मां घर पर ही रूक जाती थी।
कौन सा राजा अपनी मां से शादी की थी?
जवाब: ओडेपस ने अपनी माँ से शादी की थी!
1 सरस्वती को किसका भंडार माना जाता है?
देवी सरस्वती को आदिकाल से ही विद्या, बुद्धि और विवेक का भंडार माना जाता है।
गीले कपड़े कैसे सूख जाते हैं?
Solution : वाष्पीकरण की गति गीली वस्तु की सतह पर निर्भर करती है। जब गीले कपड़ों को फैलाकर डाला जाता है तो गीले कपड़ों की सतह का आकार बढ़ जाने से वाष्पीकरण तीव्र गति से होने लगता है। इसी कारण गीले कपड़े फैलाकर डालने से शीघ्र सूख जाते हैं।
Basant को हिंदी में क्या बोलते हैं?
बसंत का हिंदी अर्थ
एक ऋतु जब शीतकाल समाप्त होता है और ग्रीष्म आरंभ नहीं होता; मधुमास; ऋतुराज।
बसंत की पत्नी का नाम क्या है?
उनकी पत्नी का नाम रति है. बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के साथ ही प्रेम के देवता कामदेव और रति की पूजा करने की भी परंपरा है.
सरस्वती किसकी बेटी है?
प्रसंग के अनुसार सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थीं। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के बाद सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। इसीलिए यह कहा जाता है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी। सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है।
मां सरस्वती कौन से कपड़े पहनती है?
मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का भी प्रिय रंग है. इसके अलावा मां सरस्वती को वसंत पंचमी के पूजा के दिन पीले रंग के चावल, पीले लड्डू और केसर की खीर का भोग लगाया जाता है. माना जाता है कि इसलिए लोग पीले कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं.
रात में शादी क्यों होती है?
ऐसी मान्यता है कि फेरे यदि ध्रुव तारे को साक्षी मानकर किए जाते हैं तो वो रिश्ता जन्म जन्मांतर के लिए बन जाता है। इसी वजह से ज्योतिष में रात में शादी करने की सलाह दी जाती है क्योंकि उसी समय ध्रुव तारा दिखाई देता है। यही एक वजह है जिसके कारण हिन्दू शादियां रात में करने की सलाह दी जाता है।
क्या करने से शादी जल्दी होती है?
चने की दान, केला, हल्दी एवं केसर का सेवन लाभप्रद होता है। संभव हो तो गुरूवार का व्रत भी कर सकते हैं। माना जाता है कि घर में जब किसी की शादी हो रही हो तब दूल्हे का सेहरा लेकर सिर पर रखने से कुंवारे लड़के की शादी जल्दी होती है। कन्या को दुल्हन से सिर टकराना चाहिए।
जल का राजा कौन है?
इस हैरान करने वाले नजारे का वीडियो आईएफएस सुशांता नंदा ने शेयर किया है, जिसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, ‘शेर जंगल का राजा हो सकता है, लेकिन पानी में मगरमच्छ का राज चलता है!
ऐसा कौन सा राजा है जिसने अपनी बेटी से शादी की थी?
दरअसल इतिहास में अकबर की शादी राजनय पर काफी महत्व दिया गया है. इससे ये लगने लगता है कि वो शायद पहला मुस्लिम राजा था, जिसने हिंदू लड़की से शादी करके उसे रानी बनाया. वास्तविकता ये है कि इससे पहले भी ऐसा हो चुका था.
सरस्वती लुप्त कैसे हुई?
ऋग्वेद के नदी सूक्त के एक मंत्र (१०.७५) में सरस्वती नदी को ‘यमुना के पश्चिम’ और ‘सतलुज के पूर्व’ में बहती हुई बताया गया है उत्तर वैदिक ग्रंथों, जैसे ताण्डय और जैमिनीय ब्राह्मण में सरस्वती नदी को मरुस्थल में सूखा हुआ बताया गया है, महाभारतमें भी सरस्वती नदी के मरुस्थल में ‘विनाशन’ नामक जगह पर विलुप्त होने का वर्णन आता है …
सरस्वती माता क्या बजाती है?
वीणा संगीत की, पुस्तक विचारणा की और [[हंस] वाहन कला की अभिव्यक्ति है।