उत्तर- लेखक का मन पढ़ाई से अधिक खेलकूद में लगता था।
परीक्षा परिणाम देखकर लेखक के मन में क्या विचार आया?
वार्षिक परीक्षा का जब परिणाम आया तो दिन-रात किताबें खोलकर बैठे रहने वाले भाई साहब फेल हो गए और उनका छोटा भाई (लेखक) जिसका सारा समय खेलकूद को भेंट होता था और बहुत डाँट-डपट खाने के बाद थोड़ी-सी पढ़ाई कर लेता था, परीक्षा में अव्वल आ गया।
लेखक का मौन क्या दर्शाता है?
मित्र लेखक का मौन रहना उनकी अपराध स्वीकृति को दर्शाता है। ऐसे में बड़े भाई साहब लेखक पर स्नेह और रोष के मिले हुए शब्दों का प्रयोग करते थे।
लेखक की हिम्मत टूटने के क्या कारण थे?
वे लेखक को समझाने के लिए ऐसे-ऐसे सूक्ति बाणों का प्रयोग करते थे कि लेखक के पास उनका कोई जवाब नहीं होता। लेखक की हिम्मत टूट जाती थी और उसका दिल पढ़ाई से उचट जाता था। उनकी बातों और डाँट के भय के कारण ही लेखक उनके साये से भी भागता था।
लेखक डांट सुनने के बाद क्या करता था?
लेखक बड़े भाई की डाँट सुनने के बाद एक ऐसा टाइम-टेबल बनाता था जिसमें खेलने-कूदने तथा अन्य किसी मनोरंजन का समय बिलकुल नहीं रहता। इसी कारण वह उस पर अमल नहीं कर पाता था।
देखकर सिसकना क्यों भूल जाते थे?
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? Solution : भोलानाथ को अपने साथियों के साथ खेलने में गहरा आनंद मिलता है। वह साधियों को हुल्लडबाजी, शरारतें और मस्ती देखकर सब कुछ भूल जाता है। उसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है।
2 लेखक का मन कभी कभी क्यों बैठ जाता है?
उत्तर – समाचार – पत्रों में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार भरे रहते हैं। आरोप -प्रत्यारोप का कुछ ऐसा वातावरण बन गया है कि लगता है, देश में कोई ईमानदार आदमी ही नहीं रह गया है। … यह सब देखकर लेखक का मन बैठ जाता है।
इसका मौन मौन क्या दर्शाता है?
शर्ली टॉल्सन की कविता ‘द फोटोग्राफ’ की यह अभिव्यक्ति कवि की माँ की मृत्यु का सच और रहस्य उसे उदासी से भर देती है । अपने नुकसान के कारण उसे लगातार होने वाला दर्द उसे चुप करा देता है। वह मौत के रहस्य को नहीं सुलझा पा रही है। वह इसमें कुछ नहीं कर सकती।
मौन रहने से क्या होता है?
मौन के लाभ- मौन से मन की शक्ति बढ़ती है। शक्तिशाली मन में किसी भी प्रकार का भय, क्रोध, चिंता और व्यग्रता नहीं रहती। मौन का अभ्यास करने से सभी प्रकार के मानसिक विकार समाप्त हो जाते हैं।
टार्जन से लेखक निराश क्यों हुआ?
लेखक डारचेन से निराश था । अधिक ऊंचाई उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दे रही थी । उसे बहुत सर्दी थी और वह रात को सो नहीं पाता था। चूंकि वह जल्दी पहुंचने वालों में से एक थे, इसलिए वहां कोई तीर्थयात्री नहीं आ रहा था।
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर:- व्यंग्य-यहाँ पर जूते का आशय समृद्धि से है तथा टोपी मान, मर्यादा तथा इज्जत का प्रतीक है। वैसे तो इज्जत का महत्त्व सम्पत्ति से अधिक हैं। परन्तु आज लोग अपने सामर्थ्य के बल अनेक टोपियाँ (सम्मानित एवं गुणी व्यक्तियों) को अपने जूते पर झुकने को विवश कर देते हैं।
लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा है?
लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था? उत्तर:- बस की जर्जर अवस्था से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए।
लेंचो का पत्र कौन पढ़ता है?
उत्तर: पोस्टमास्टर ने लेंचो का भगवान को संबोधित पत्र पढ़ा। प्रश्न 3: तब पोस्टमास्टर ने क्या किया?
भोलानाथ अपने पिताजी को क्या कहकर बुलाते थे?
Solution : लेखक के पिता शिवभक्त थे। वे अपने पुत्र में भगवान शिव के अलमस्त रूप की झांकी देखते थे। विशेष रूप से जब वह शिशु पूजा पर बैठता था और चौड़े माथे पर तिलक-त्रिपुंड लगवाता था तो लंबी लंबी जटाओं के बीच में वह बम भोला प्रतीत होता था। इसलिए उसके पिता उसे भोलानाथ कहकर पुकारते थे।
कारण बताएँ लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते लोगों ने यह सलाह क्यों दी short answer?
उत्तर:- लोगों ने लेखक को यह सलाह इसलिए दी क्योंकि वे जानते थे की बस की हालत बहुत खराब है। बस का कोई भरोसा नहीं है कि यह कब और कहाँ रूक जाए, शाम बीतते ही रात हो जाती है और रात रास्ते में कहाँ बितानी पड़ जाए, कुछ पता नहीं रहता। उनके अनुसार यह बस डाकिन की तरह है।
13 लेखक का मन क्यों बैठ जाता है?
उत्तर – समाचार – पत्रों में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार भरे रहते हैं। आरोप -प्रत्यारोप का कुछ ऐसा वातावरण बन गया है कि लगता है, देश में कोई ईमानदार आदमी ही नहीं रह गया है। … यह सब देखकर लेखक का मन बैठ जाता है।
लेखक की हिम्मत क्यों टूट जाती थी?
Answer: जब भाई साहब उन्हें डाँटते।
मौन रहने से क्या फायदा होता है?
- तेज़ काम करता है दिमाग अगर दिन में कुछ देर शांत माहौल में शांत बैठते हैं, तो उस वक्त केवल एक ही जगह पर दिमाग लगता है और कहीं ध्यान भी नहीं भटकता। …
- तनाव होता है दूर शोर की वजह से तनाव महसूस होता है। …
- बढ़ती है ऊर्जा …
- बेहतर होती है बातचीत …
- कुछ गलत कहने से हैं बचते …
- मानसिक शांति
मौन कैसे किया जाता है?
क्या करें मौन में- मौन में सबसे पहले जुबान चुप होती है, लेकिन आप धीरे-धीरे मन को भी चुप करने का प्रयास करें। मन में चुप्पी जब गहराएगी तो आँखें, चेहरा और पूरा शरीर चुप और शांत होने लगेगा। तब इस संसार को नए सिरे से देखना शुरू करें। जैसे एक 2 साल का बच्चा देखता है।
1 क्या निराश हुआ जाए?
हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘क्या निराश हुआ जाए‘ एक श्रेष्ठ निबंध है। इस पाठ के द्वारा लेखक देश में उपजी सामाजिक बुराइयों के साथ-साथ अच्छाइयों को भी उजागर करने के लिए कहते है। वे कहते है समाचार पत्रों को पढ़कर लगता है सच्चाई और ईमानदारी ख़त्म हो गई है। आज आदमी गुणी कम और दोषी अधिक दिख रहा है।
लेखक ने स्वीकार किया है उन्हें भी कई बार धोखा मिला है फिर भी वो निराश क्यों नहीं हैं?
Solution : लेखक को लोगों ने धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। मेरे विचार से इसका कारण यह रहा कि लेखक केवल उन्हीं बातों का हिसाब नहीं रखता जिनमें उसने धोखा खाया है। लेखक को अपने जीवन में घटित वे घटनाएँ भी याद हैं, जब लोगों ने अकारण ही उसकी… सहायता की है और उसके निराश मन को सांत्वना दी है।
कौन पर्दे का महत्व नहीं जानता?
तुम परदे का महत्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं। यहाँ परदे का सम्बन्ध इज़्जत से है। जहाँ कुछ लोग इज़्ज़त को अपना सर्वस्व मानते हैं तथा उस पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार रहते हैं, वहीं दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके लिए इज़्ज़त महत्वहीन है।
टोपी किसकी दादी को पसंद करता था?
इफ़्फ़न की दादी टोपी को बहुत प्यार करती थीं। उनकी मीठी-मीठी बोली उसे तिल के लडू या शक्करगुड जैसी लगती थी। टोपी की माँ भी ऐसा ही बोलती थीं परन्तु उसकी दादी उसे बोलने नहीं देती थी। उधर इफ़्फ़न के दादा जी व अम्मी को उनकी बोली पंसद नहीं थी।
लेंचो ने भगवान को क्या लिखा?
(लेंचो ने भगवान् को अपने पत्र में लिखा कि उसे अपने खेतों को दोबारा बोने के लिए व परिवार पालने के लिए सौ पीसोज़ की अत्यन्त आवश्यकता है।) Lencho wanted from God one hundred pesos to sow his fields again and for his family to live. (लेंचो भगवान से अपने खेतों को दोबारा बोने के लिए व परिवार पालने के लिए सौ पीसोज़ चाहता था।)
लेंचो को कितने पैसे मिले?
लेन्चो ने 100 Pesos माँगे लेकिन उसे केवल 70 Pesos मिले जिससे वह गुस्सा हो गया। अब वह बचे हुए पैसे के लिए डाकघर के कर्मचारियों को दोषी ठहराता है। क्योंकि लेनचो को पता था कि भगवान गलती नहीं कर सकते और किसी की उम्मीद नहीं तोड़ सकते।
भोलानाथ का असली नाम क्या है?
Passage. पिता जी हमें बड़े प्यार से ′ भोलानाथ ′ कहकर पुकारा करते। पर असल में हमारा नाम था ′ तारकेश्वरनाथ ′ ।
भोलानाथ सिसकना क्यों भूल जाता है?
भोलानाथ को भी जब साथी बालकों की टोली दिखाई देती है तो उनका खेलना-कूदना देखकर, वह गुरु जी की डाँट-फटकार तथा अपना सिसकना भूल जाता है और उनके साथ खेलने में मग्न हो जाता है। बच्चों के साथ उसे लगता है कि अब डर, भय और किसी तरह की चिंता की आवश्यकता नहीं रही। यही कारण है कि भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।
लड़कों ने लेखक कहां ठहरा और क्यों?
थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों? लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला इसका मुख्य कारण था – संबंधों का महत्व।
मैं क्यों लिखता हूँ?
एक उत्तर तो यह है कि मैं इसीलिए लिखता हूँ कि स्वयं जानना चाहता हूँ कि क्यों लिखता हूँ-लिखे बिना इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल सकता है। वास्तव में सच्चा उत्तर यही है लिखकर ही लेखक उस आभ्यंतर विवशता को पहचानता है जिसके कारण उसने लिखा-और लिखकर ही वह उससे मुक्त हो जाता है।
वानर टोली किसकी थी?
उत्तर:- मक्खनपुर पढ़ने जाने वाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप रहता है। लेखक ढेला फेंककर साँप से फुसकार करवा लेना बड़ा काम समझता था। बच्चों में ढेला फेंककर फुसकार सुनने की प्रवृत्ति जाग्रत हो गई थी।
चुप रहने के क्या फायदे हैं?
- दिमाग बेहतर काम करता है
- तनाव वाले हॉर्मोन नियंत्रित होते हैं
- ब्रेन सेल्स बनती हैं
- क्रिएटिविटी बढ़ती है
- परिस्थितियों का सामना बेहतर ढंग से करते हैं
- दिमाग के लिए है एक्सरसाइज
- पॉजिटिव विचारों का संचार
- एक अच्छे श्रोता और समीक्षक
चुप रहने का अधिकार कौन सा है?
चुप रहने के अधिकार का मतलब है कि किसी भी संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति को अपने खिलाफ किसी भी तरह का साक्ष्य देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है और अगर संदिग्ध या आरोपी व्यक्ति पूछताछ के दौरान चुप रहता है, तो उसकी चुप्पी का कोई भी उलटा मतलब नहीं निकाला जा सकता है।
क्या कोई व्यक्ति कोर्ट में अपना केस खुद लड़ सकता है?
आपको बताते चलें कि संविधान के सेक्शन 32 के एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के मुताबिक, कोई भी अदालत में अपना केस लड़ सकता है. जज इसके लिए किसी भी व्यक्ति को अपने सामने उपस्थित होने की इजाजत दे सकती है, फिर चाहे वो वकील हो या नहीं. इसके लिए आपको किसी तरह की लॉ की डिग्री लेने की जरूरत भी नहीं है.
चुप रहने के 4 फायदे क्या है?
मेडिटेशन और ध्यान लगाना खुद को शांत करने और तनाव घटाना का एक बेहतरीन तरीका है। आपने ध्यान दिया होगा कि हर धर्म और संस्कृति में शांत और मौन रहने को महत्त्व दिया गया है।
क्या निराश हुआ जाये?
हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘क्या निराश हुआ जाए‘ एक श्रेष्ठ निबंध है। इस पाठ के द्वारा लेखक देश में उपजी सामाजिक बुराइयों के साथ-साथ अच्छाइयों को भी उजागर करने के लिए कहते है। वे कहते है समाचार पत्रों को पढ़कर लगता है सच्चाई और ईमानदारी ख़त्म हो गई है। आज आदमी गुणी कम और दोषी अधिक दिख रहा है।
क्या निराश का मतलब उदास होता है?
यदि आप निराश हैं, तो आप निरुत्साहित हैं, बहुत दुखी हैं, और आशाहीन हैं। यदि आप उदास हैं, तो आप अपनी मनोदशा को निराशा के रूप में वर्णित कर सकते हैं । इस विशेषण के बाद अक्सर over or about होता है: “वह अपनी नौकरी के नुकसान से निराश था।” यदि आप संज्ञा चाहते हैं, तो निराशा या निराशा शब्दों का प्रयोग करें।
क्या निराश हो जाए?
हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित ‘क्या निराश हुआ जाए‘ एक श्रेष्ठ निबंध है। इस पाठ के द्वारा लेखक देश में उपजी सामाजिक बुराइयों के साथ-साथ अच्छाइयों को भी उजागर करने के लिए कहते है। वे कहते है समाचार पत्रों को पढ़कर लगता है सच्चाई और ईमानदारी ख़त्म हो गई है। आज आदमी गुणी कम और दोषी अधिक दिख रहा है।
आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?
आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है? Solution : लेखक को लोगों ने धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। मेरे विचार से इसका कारण यह रहा कि लेखक केवल उन्हीं बातों का हिसाब नहीं रखता जिनमें उसने धोखा खाया है। लेखक को अपने जीवन में घटित वे घटनाएँ भी याद हैं, जब लोगों ने अकारण ही उसकी…
3 पर्दे के पीछे से चिट्ठी ने क्या कहा?
पर्दे के पीछे से चिट्टी ने कहा कि “मेरे प्यारे दोस्त, तुमने सच कहा समय सदा एक समान नहीं रहता। प्रश्न 4. चिट्ठी ने मुस्कुराते हुए क्या कहा? चिट्ठी ने मुस्कुराते हुए कह कहती है कि ‘जो मिल जाए, जितना मिल जाए, उसी में खुश रहना सीखो।
पर्दे कैसे चुनें?
- पर्दो के अंतर पर्दे का चयन करने का तरीका जानने के लिए पहला कदम यह पता लगाना है कि आपके कमरे को क्या चाहिए। …
- सही फैब्रिक चुनें …
- रंग का चुनाव …
- प्रिंट और सॉलिड के बीच चयन …
- सही लंबाई …
- ट्रिम्स और एक्सेसरीज …
- कैसे संभालें
टोपी का असली नाम क्या था?
एक का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला है और दूसरे का नाम सय्यद जरगाम मुरतुजा । एक को टोपी कहा गया और दूसरे को इफ़्फ़न ।