पर्दा समाज में मान-सम्मान और घर की इज्जत का प्रतीक है।
पर्दा किसका प्रतीक रूप है?
समर्थक पर्दा को सम्मान और गरिमा के प्रतीक के रूप में देखते हैं। इसे एक अभ्यास के रूप में देखा जाता है जो महिलाओं को शारीरिक सुंदरता के बजाय उनकी आंतरिक सुंदरता से आंकने की अनुमति देता है।
पर्दा कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
कहानी संग्रह में संकलित है। पर्दा का यह उद्देश्य है-परिस्थितियों में जकडे एक निर्धन की परम्परागत मान- सम्मान तथा झूठी प्रतिष्ठा को जर्जर परदे के पीछे छिपाने की छटपटाहट का चित्रण करना।
परदा कहानी किसकी है?
परदा | यशपाल की कहानी | Parda Story by Yashpal.
परदा कहानी का मुख्य पात्र कौन है?
यशपाल जी द्वारा लिखी गई परदा कहानी का सारांश
इस कहानी में चौधरी पीरबक्श और उनके दो लड़के और आगे उनके परिवार की कहानी है। पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे । आमदनी अच्छी थी । एक छोटा, पर पक्का मकान भी उन्होंने बनवा लिया ।
पर्दा को हिंदी में क्या बोलते हैं?
[सं-पु.] – 1. आड़ करने के लिए लटकाया हुआ कपड़ा; पट; (कर्टेन) 2. ओट; आड़ 3.
नाक को किसका प्रतीक माना जाता है?
नाक, इज्जत-प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा और सम्मान का प्रतीक है। शायद यही कारण है कि इससे संबंधित कई मुहावरे प्रचलित हैं जैसे – नाक कटना, नाक रखना, नाक का सवाल,नाक रगड़ना आदि। इस पाठ में नाक मान सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है।
चौधरी पीर के दादा क्या करते थे?
चौधरी पीरबख्श एक ऐसे निम्न मध्यवर्ग के व्यक्ति हैं जिनके यहाँ पिछली दो पुश्तों से नौकरी पेशा होता आया है तथा मामूली पढ़ाई का भी सिलसिला रहा है । उनके दादा चुंगी के महक में दारोगा थे और पिता इलाहीबख्श डाकखाने में बाबू ।
चौधरी पीर बॉक्स के दादा क्या करते थे?
चौधरी पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे ।
पर्दा किसका प्रतीक है?
पर्दा समाज में मान-सम्मान और घर की इज्जत का प्रतीक है।
चौधरी पीरबख्श के दादा क्या करते है?
चौधरी पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे ।
घर में पर्दा लगाने से क्या लाभ है?
वास्तु के अनुसार पर्दे लगाने से व्यक्ति को कई परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है. इसलिए खिड़की-दरवाजे पर हमेशा वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर ही पर्दे लगाने चाहिए. इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है और घर पर सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है.
घर में पर्दा क्यों लगाया जाता है?
कहा जाता है कि वास्तु शास्त्र से पर्दे लगाना शुभ होता है। घरों में सामान को वास्तु की दिशा के अनुसार तो रखा ही जाता है लेकिन घर में दिशा के अनुसार रंग का संयोजन करके पर्दे लगाने से कई प्रकार के दोषों को दूर किया जा सकता है।
लोग नाक में अंगूठियां क्यों लगाते हैं?
कुछ संस्कृतियों के लिए, यह प्रथा केवल आभूषण के लिए है, जबकि अन्य के लिए यह धार्मिक प्रथाओं के लिए है । शुरुआत में अमेरिका में यह प्रथा उपसंस्कृतियों के लिए थी और इसे अल्पसंख्यक युवाओं से जोड़कर देखा जाता था। संयुक्त राज्य अमेरिका में, नाक छिदवाने के नकारात्मक अर्थ हो सकते हैं।
लाल नाक दिवस क्यों है?
बच्चों के लिए कहानी बदलें। रेड नोज़ डे, 26 मई को ट्यून इन करें। रेड नोज़ डे एक वार्षिक धन उगाहने वाला अभियान है, जिसमें बच्चों को सुरक्षित, स्वस्थ, शिक्षित और सशक्त बनाए रखने वाले कार्यक्रमों को वित्तपोषित करके बाल गरीबी को समाप्त करने का मिशन है।
बेडरूम में कौन से कलर के पर्दे लगाने चाहिए?
वास्तु के अनुसार बेडरूम में नारंगी, गुलाबी या नीले रंग के पर्दे लगाएं. इससे पति-पत्नी के रिश्ते में मजबूती बनी रहेगी. नीला रंग के प्रभाव से धैर्य का विकास भी होता है. यहां आप गुलाबी रंग के पर्दे भी लगा सकते हैं ये मानसिक शांति, रिश्तों में मधुरता लाता है.
घर में कौन से कलर के पर्दे लगाने चाहिए?
नीले रंग के पर्दे घर में समृद्धि और सुकून लेकर आते हैं. वास्तु अनुसार इस रंग के पर्दे का इस्तेमाल बेडरूम, लिविंग रूम और स्टडी रूम में करना चाहिए. इस रंग के प्रभाव से घर में शांति बनी रहती है. वहीं गुलाबी रंग का पर्दा लगाने से रिश्तों में मधुरता आती है.
घर में कौन से कलर के पर्दे लगाना चाहिए?
आप पीला, नारंगी, सफेद, ऑफ वाइट और गुलाबी रंग का पर्दा भी लगा सकते हैं. इसके अलावा यहां हल्का हरा, नीला और बैंगनी रंग के पर्दे भी लगाए जा सकते हैं. दक्षिण दिशा – दक्षिण दिशा की खिड़की और दरवाजों के लिए गहरे रंग के पर्दे शुभ होते हैं. इस दिशा में आप लाल और डार्क हरा रंग के पर्दे लगा सकते हैं.
पीर बाबा की क्या कहानी है?
पीर बाबा का जन्म 908 AH में फेरगना, उज्बेकिस्तान में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने दादा सैयद अहमद नूर से प्राप्त की। सैयद अली तिर्मिज़ी ने शेख सिलोन कीथ और तसव्वुफ़ के मार्गदर्शन में शेख सालार रूमी के मार्गदर्शन में मदहब का अध्ययन किया। इस कारण उन्हें रोमन शेख सालार सूफी आदेश के खलीफा के रूप में चुना गया।
पीर का जन्म कब हुआ था?
उनका जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा(दत्तखेड़ा) गाँव में एक प्रतिष्ठित चौहान राजपूत परिवार में हुआ था। पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं। कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं।
पीर बख्श के कितने बच्चे थे?
This is Expert Verified Answer. इस कहानी में चौधरी पीरबक्श और उनके दो लड़के और आगे उनके परिवार की कहानी है। पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे ।
घर के मंदिर में कौन से रंग का बल्ब लगाएं?
पीले रंग का बल्ब लगा सकते हैं पूजा स्थल में
इस पर आचार्य बताते हैं कि वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में पीले रंग का बल्ब लगाना शुभ होता है. पीला रंग शुभता का प्रतीक है. इसलिए अपने पूजा कमरे में सात्विकता भरे वातावरण और शुभ फल के लिए आप पीले रंग की रोशनी वाले बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं.
घर के मंदिर में क्या क्या रखना चाहिए?
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अनिरुद्ध जोशी
- शालग्राम : विष्णु की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः पत्थर की गोलियों या बटियों आदि के रूप में होती है और उस पर चक्र का चिह्न बना होता है। …
- शिवलिंग : शिव की एक प्रकार की मूर्ति जो प्रायः गोलाकार में जनेऊ धारण किए होती है।
लड़कियां नाक में नथनी क्यों पहनती है?
– आयुर्वेद के अनुसार नाक के एक प्रमुख हिस्से पर छेद करने से स्त्रियों को मासिक धर्म से जुड़ी कई परेशानियों में राहत मिल सकती है। – आमतौर पर लड़कियां सोने या चांदी से बनी नथ पहनती हैं। ये धातुएं लगातार हमारे शरीर के संपर्क में रहती हैं तो इनके गुण हमें प्राप्त होते हैं।
नाक में क्या पहनना चाहिए?
नाक में नथ को विवाहित महिलाओं के सौभाग्य की निशानी माना जाता है. इससे किसी महिला के सुहागिन होने का पता चलता है. हिंदू धर्म में पहले सिर्फ उन महिलाओं की नाक छेदी जाती थी जो विवाहित होती थीं.
नाक कब छिदवाना चाहिए?
1. यदि बुध या चंद्र अष्टम भाव में होकर बुरा फल दे रहे हैं तो नाक छिदवाना जरूरी है। 2. यदि चंद्र षष्टम भाव में बैठकर बुरा फल दे रहा है तो भी नाक छिदवाना जरूरी है।
क्या नाक छिदवाना जरूरी है?
कई वैज्ञानिकों ने इसे बीमारियों को ठीक करने की वैकल्पिक प्रक्रिया माना है. इसे एक्युपंक्चर पद्धति में शामिल किया जाता है जो कि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से जुड़ी बीमारियों को ठीक करता है. इतना ही नहीं नाक पर विशेष जगह छेद करने से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिलती है.
किचन में कौन सा रंग होना चाहिए?
किचन में प्रयोग के लिए ग्रीन कलर को सबसे परफेक्ट माना जाता है। वास्तु में हरे रंग को उम्मीद और शांति का प्रतीक माना जाता है।
पूजा घर में कौन सा कलर होना चाहिए?
वास्तु के अनुसार लाल रंग को पूजा घर के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. माना जाता है कि लाल बरकत का रंग है यानी इसके इस्तेमाल से घर में बढ़ोतरी होती है. आर्थिक लाभ के लिए इस रंग को शुभ माना जाता है. पीले रंग को वास्तुशास्त्र के मुताबिक बेहद शुभ माना जाता है.
हिन्दू पीर बाबा की पूजा क्यों करते हैं?
पीर-फकीरों, बाबाओं, तांत्रिकों, मायावियों, अघोरियों को तामसिक वृत्ति का मानते हुए उनसे दूर रहने की बात करता है। इनमें से किसी की पूजा करने या न करने के सम्बंध में धर्म कोई आदेश, अनुमति या बंदिश की बात नहीं करता, यह व्यक्ति के स्वयं के विवेक पर निर्भर करता है।
पीर क्यों पूजे जाते हैं?
मुस्लिम राजा का यह एक अधिकारी होता था, जिसे पीर कहा जाता था। जिसकी नौ गज के घेरे तक सुरक्षा रहती थी, जैसे आजकल सुरक्षा कमांडो मुख्यमंत्री को घेरा बनाकर चलते हैं। गावों में लगान आदि इकट्टा करने का जिम्मा पीर का होता था! रैवैन्यु गांव के एक निश्चित स्थान पर सभी लोग उस पीर के पास जाकर मुगलों का टैक्स देते थे!
गोगा जी की मृत्यु कब हुई थी?
ऐसा माना जाता है कि अर्जन-सुर्जन ने मुस्लिम आक्रान्ता महमूद गजनवी की मदद से गोगा जी पर आक्रमण कर दिया। महमूद गजनवी के साथ युद्ध में गोगा जी वीरता पूर्वक सतलज के मार्ग की रक्षा कर रहे थे। इसी युद्ध में गोगा जी अपने बेटों के साथ शहीद हो गए।
गोगा जी के कितने पुत्र थे?
राणा घंघ की पहली रानी से दो पुत्र हर्ष व हरकरण तथा एक पुत्री जीण का जन्म हुआ। हर्ष व जीण लोक देवता के रूप में सुविख्यात हैं।
घर के पूजा घर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?
माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल
ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए।
कौन से भगवान की मूर्ति घर में नहीं रखना चाहिए?
वास्तु के अनुसार, पूजा घर में कभी भी एक ही देवी-देवता की अधिक मूर्ति नहीं रखनी चाहिए. वास्तु में इसे अशुभ माना गया है. इसके अलावा मंदिर में कभी भी रौद्र रूप वाली मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए. ऐसी तस्वीर या मूर्ति रखने से अनिष्ट होता है.
दुनिया में सबसे अच्छी नाक किसकी है?
Mehmet Özyürek Nose: तुर्की (Turkey) के एक शख्स अपनी नाक (Nose) की वजह से वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में कामयाब हुआ. दुनिया की सबसे बड़ी नाक (Worlds Biggest Nose) वाले शख्स के रूप में इसने अपना नाम दर्ज करवाया है. दिलचस्प बात ये है कि 71 की उम्र में पहुंचने के बाद भी इस शख्स की नाक लगातार बढ़ रही है.
लंबी नाक वाली लड़कियां कैसे होती है?
* अत्यधिक लंबी नाक वाली स्त्री जीवन में कभी सुख प्राप्त नहीं कर पाती है, लेकिन लंबी होने के साथ यदि नाक पतली है तो यह शुभ मानी गई है। * सुंदर व सुडौल और समान छिद्र वाली नाक श्रेष्ठता और भाग्य की सूचक है। * यदि नाक चपटी और आगे से तीखी नोक वाली है तो ऐसी स्त्री विधवा होती है।
किचन में कौन से भगवान की फोटो लगाना चाहिए?
वास्तु शास्त्र की मानें तो रसोई घर में माता अन्नपूर्णा की तस्वीर लगाना बेहद ज़रूरी होता है. इसके साथ ही किचन में फलों व सब्जियों से भरी सुंदर तस्वीर लगाना भी शुभ माना जाता है.
किचन में क्या नहीं रखना चाहिए?
…
- दवाईयां …
- दर्पण या शीशा …
- गुथा हुआ आटा …
- टूटे और चटके बर्तन …
- स्टोर रूम न बनाएं
चेहरे पर लगा रंग कैसे छुड़ाएं?
अगर आपकी त्वचा पर ज्यादा गहरा रंग लग गया हो तो, दो चम्मच जिंक ऑक्साइड और दो चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर लेप तैयार कर इसे चेहरे पर लगाएं। अब स्पंज से हल्के हाथों से रगड़कर चेहरा धो लें और बीस-पच्चीस मिनट बाद साबुन लगाकर चेहरा धोएं। आपकी त्वचा पर लगा रंग उतर जाएगा।
होली में पक्के रंग को कैसे उतारे?
- बेसन में नींबू व दूध मिलाकर उसका पेस्ट बनाकर अपनी त्वचा पर लगाएं। …
- खीरे का रस निकालकर उसमें थोड़ा-सा गुलाब जल और एक चम्मच सिरका मिला लें। …
- मूली का रस निकालकर उसमें दूध व बेसन या मैदा मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर कुछ देर तक लगाए रखने के बाद चेहरा साफ कर लें।