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जीवन का अंतिम संस्कार क्या है?

आमतौर पर हिंदुओं को मरने के बाद अग्नि की चिता पर जलाया जाता है जिसमें शव को लकड़ी के ढेर पर रखकर पहले मृतात्मा को मुखाग्नि दी जाती है और तत्पश्चात उसके शरीर को अग्नि को समर्पित किया जाता है। शवदाह के बाद मृतक की अस्थियाँ जमा की जाती है और उसे किसी जलस्त्रोत में, आमतौर पर गंगा में प्रवाहित की जाती है।

जीवन का अंतिम संस्कार कौन सा है?

पितृमेध या अन्त्यकर्म या अंत्येष्टि या दाह संस्कार 16 हिन्दू धर्म संस्कारों में षोडश आर्थात् अंतिम संस्कार है। मृत्यु के पश्चात वेदमंत्रों के उच्चारण द्वारा किए जाने वाले इस संस्कार को दाह-संस्कार, श्मशानकर्म तथा अन्त्येष्टि-क्रिया आदि भी कहते हैं। इसमें मृत्यु के बाद शव को विधी पूर्वक अग्नि को समर्पित किया जाता है।

पत्नी का अंतिम संस्कार कौन करता है?

अंतिम संस्कार औरत नहीं कर सकती है। यह तथ्य मौजूदा सदी में अव्यावहारिक परंपरा मानी जा सकती है। भारतीय संस्कृति में किसी की मौत होने पर उसको मुखाग्नि मृतक का बेटा/भाई/ भतीजा/पति या पिता ही देता है। दूसरे लफ्जों में आमतौर पर पुरुष वर्ग ही इसे निभाता है।

मरने के बाद अंतिम संस्कार कैसे होता है?

मृत्यु के बाद दाह संस्कार से पहले मृतक को स्नान कराया जाता है. इसके बाद उसके शरीर पर चंदन, घी और तेल का लेप लगाकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं. हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किए जाते हैं. माना जाता है कि जिस व्यक्ति का अंतिम संस्कार सूर्यास्त के बाद होता है उसकी आत्मा परलोक में भटकती है.

मरने के बाद कितने संस्कार होते हैं?

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उल्लेख किया जाता है जो मानव को उसके गर्भाधान संस्कार से लेकर अन्त्येष्टि क्रिया तक किए जाते हैं। इनमें से विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार बड़े धूमधाम से मनाये जाते हैं। वर्तमान समय में सनातन धर्म या हिन्दू धर्म के अनुयायी में गर्भाधन से मृत्यु तक १६ संस्कारों होते है।

मनुष्य के मरने का शुभ समय कौन सा है?

लेकिन अगर किसी की मृत्यु रात में हुई है तो फिर उसका अंतिम संस्कार सुबह 10 बजे तक कर देना चाहिए । ऐसी मान्यता है कि यमराज अगर गलती से किसी के प्राण हर लेते है तो वे उसे पुनः वापस लौटाने की ताकत भी रखते हैं, इसलिए कहा जाता है कि किसी का भी अंतिम संस्कार करने में बहुत जल्दबाजी नहीं करना चाहिए ।

लाश जलाने वाले को क्या कहा जाता है?

यहाँ दाह संस्कार कराने वालों को डोम राजा कह कर पुकारा जाता है. इन्हें भले ही डोम राजा नाम दिया गया है लेकिन समाज में इनकी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है.

अंतिम संस्कार में लड़कियां क्यों नहीं जाती?

महिलाओं का मुंडन शुभ नहीं

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अंतिम संस्कार में परिवार के पुरुषों को मुंडन करवाना पड़ता है, जबकि महिलाओं का मुंडन करना शुभ नहीं माना जाता है. इस वजह से महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं किया जाता है.

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रात में क्यों नहीं होता अंतिम संस्कार?

हिंदू धर्म में कभी भी रात में अंतिम संस्‍कार नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि रात के समय स्‍वर्ग के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं और नर्क के द्वार खुल जाते हैं. ऐसे में मृत आत्‍मा को नर्क के कष्‍ट भोगने पड़ेंगे. दरअसल, मान्‍यता है कि जब तक शव का अंतिम संस्‍कार नहीं हो जाता है, आत्‍मा उसके करीब ही भटकती रहती है.

किसी के मरने के कितने समय बाद देखना है?

जागृति (कभी-कभी देखने या मुलाक़ात के रूप में संदर्भित) आमतौर पर मृत्यु के एक सप्ताह के भीतर होती है। तो यह उत्तर इस प्रश्न के समान है कि “मृत्यु के कितने समय बाद अंत्येष्टि होती है?” वेक आमतौर पर अंतिम संस्कार से पहले शाम को होता है। यह क्या है?

मृत्यु के समय दर्द क्यों होता है?

इसकी वजह यह बताई जाती है कि जिंदगी के आखिरी लम्हों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर दर्द महसूस न होने देने वाले विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं, दर्द के अभाव में इनसान बेहतर महसूस करने लगता है, गफलत, नीम बेहोशी या बेहोशी के आलम में चला जाता है और अंततः इस आलम से ही निकल जाता है.

मरने से पहले 40 सेकंड क्या होता है?

कहते हैं कि जो पीड़ा नर्क में होती है ठीक वैसी ही पीड़ा मरने से ठीक 40 सेकेंड पहले होती है। मरने से ठीक पहले मनुष्‍य को इस जन्‍म के साथ साथ पिछले कई जन्‍मों के कर्मों का पूरा चित्र हमारे सामने होता है। सब कुछ 40 सेकेण्‍ड के भीतर ही हो जाता है और इसमें काफी पीड़ा होती है।

लाश को रात में क्यों नहीं जलाया जाता?

रात में नहीं किया जाता दाह-संस्‍कार

दरअसल, मान्‍यता है कि जब तक शव का अंतिम संस्‍कार नहीं हो जाता है, आत्‍मा उसके करीब ही भटकती रहती है. यदि अंतिम संस्‍कार रात में कर दिया जाएगा तो आत्‍मा वहां से चली जाएगी. इसके अलावा यह भी मान्‍यता है कि रात में दाह संस्‍कार करने से अगले जन्‍म में व्‍यक्ति के अंग में दोष हो सकता है.

लाश को कब जलाना चाहिए?

सूर्यास्त के बाद हुई है मृत्यु तो हिन्दू धर्म के अनुसार शव को जलाया नहीं जाता है। इस दौरान शव को रातभर घर में ही रखा जाता और किसी न किसी को उसके पास रहना होता है। उसका दाह संसाकार अगले दिन किया जाता है। यदि रात में ही शव को जला दिया जाता है तो इससे व्यक्ति को अधोगति प्राप्त होती है और उसे मुक्ति नहीं मिलती है।

मरने से पहले आदमी क्या सोचता है?

मरने से पहले इंसान अपनी खुशियों के बारे में भी सोचता है। वह सोचता है कि काश थोड़ा समय होता तो जिंदगी के हर पल को खुशी से जी लिया होता। वह अपनी पुरानी जिंदगी के बारे में सोचता है कि इस समय अगर इस समय यह घटना ना होती तो मैं कितना खुश होता।

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मरने के बाद आंख कितनी देर तक जिंदा रहती है?

आंख का कॉर्निया तकरीबन 6 घंटे तक जिंदा रहता है.

मरने से पहले आदमी को क्या दिखता है?

– मृत्‍यु से 1 महीने पहले व्‍यक्ति को चंद्रमा और तारे ठीक से नजर आने बंद हो जाते हैं. वहीं चंद्रमा और सूर्य के आसपास काला या लाल घेरा दिखने लगे तो 15 दिन में मृत्‍यु हो सकती है. – व्‍यक्ति का अचानक नीली मक्खियों से घिर जाना भी मृत्‍यु से पहले मिलने वाला संकेत है. ऐसे व्‍यक्ति की महीने भर में मौत हो सकती है.

शमशान घाट में भूत रहते हैं क्या?

श्मशान घाट पर आत्माओं, भूत-प्रेत आदि का निवास भी माना जाता है. यहां अघोरी भी होते हैं इसलिए जैसे ही चंद्रमा आकाश में नजर आने लगे उस समय से लेकर सूर्योदय तक जीवित मनुष्यों को श्मशान घाट या उसके करीब से बिल्कुल भी नहीं गुजरना चाहिए. भगवान शिव और मां काली को श्मशान घाट का भगवान कहा गया है.

औरतें श्मशान घाट में क्यों नहीं जा सकती?

कहते हैं कि श्मशान घाट में दाह संस्कार के बाद कुछ आत्माओं को शांति नहीं मिलती, जो घूमती रहती हैं. ऐसी आत्माएं महिलाओं के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं. इस वजह से भी श्मशान घाट में महिलाओं को नहीं ले जाया जाता है. मान्यता है कि अंतिम संस्कार के दौरान घर में नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं.

रात में लाश को क्यों नहीं छोड़ा जाता है?

क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो उसमें से गंध आ सकती है। साथ ही अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो चींटिया या कोई पशु उसको नोंचकर खा सकता है। वहीं एक वजह यह भी है कि अगर शरीर को अकेला छोड़ दिया तो उसकी बुरी आत्माएं उसके शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। इस कारण भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।

दफनाने के बाद शरीर का क्या होता है?

अंग, मांसपेशियां और त्वचा द्रवीभूत हो जाते हैं । जब शरीर के सभी कोमल ऊतक विघटित हो जाते हैं, तो बाल, हड्डियाँ, उपास्थि और क्षय के अन्य उपोत्पाद शेष रह जाते हैं। इस चरण के दौरान शव सबसे अधिक द्रव्यमान खो देता है।

क्या मृत्यु के समय दर्द होता है?

उनकी राय है कि मौत के समय दर्द नहीं होता लेकिन अप्राकृतिक मौत के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता. आम तौर पर मौत के समय दांत दर्द से भी कम दर्द हो सकता है.

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मौत से पहले क्या होता है?

शिव पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के कुछ महीनों पहले व्यक्ति की जीभ उचित तरह से काम करना बंद कर देती है, उसे भोजन का सही स्वाद नहीं मिलता. बोलने में भी परेशानी आने लगती है. जब कोई व्यक्ति चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के प्रकाश को देखने में असमर्थता महसूस करने लगे तो ये संकेत है कि जीवन के बस कुछ क्षण ही बचे हैं.

मरने के बाद चेहरा नीला क्यों होता है?

दरअसल, जब तक इंसान जिन्दा होता है, उसके बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन चलता रहता है। जैसे ही उसकी सांसें रूकती हैं, सर्कुलेशन रुकने की वजह से बॉडी का रंग नीला पड़ने लगता है। इसके अलावा हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने की वजह से शरीर पीला पड़ने लगता है।

मरने के बाद मुंह में सोना क्यों रखा जाता है?

तुलसी और गंगाजल के साथ कुछ जगहों पर मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने की टुकड़ा भी रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है?

बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं।

श्मशान की देवी कौन है?

देवी महाकाली एक स्वरूप श्मशान काली का है जो विनाश करती हैं और दूसरी सौम्यमूर्ति भद्रकाली हैं जो सुख समृद्धि प्रदान करती हैं। लेकिन श्मशान में देवी काली की एक ऐसी मूर्ति है जो श्मशान काली होते हुए भी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। आइए जानें देवी काली की इसी दिव्य मूर्ति के बारे में।

मरने के बाद मुंडन क्यों किया जाता है?

ताकि आत्‍मा उनके मोह से मुक्‍त हो सके. व्‍यक्ति के निधन के बाद उसके परिजनों द्वारा सिर मुंडवाना मृतक के प्रति प्रेम और सम्‍मान जताने का एक जरिया भी है. मृतक के प्रति कृतज्ञता दर्शाते हुए लोग अपने बाल कटवा लेते हैं, क्‍योंकि बालों के बिना सुंदरता अधूरी है. शव में कई तरह बैक्‍टीरिया पनप जाते हैं.

मरने से पहले यमराज क्या संकेत देते हैं?

मरने वाले व्‍यक्ति को अपनी छाया दिखनी बंद हो जाती है. जब ऐसा हो तो यह व्‍यक्ति के मौत के बेहद नजदीक होने का इशारा है. – वहीं मरने से 2-3 दिन पहले से ही व्‍यक्ति को अपने आसपास अदृश्‍य शक्तियों के होने का अहसास होने लगता है. उसे यमराज (Yamraj)के दूत दिखाई देने लगते हैं.