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घर की कुर्की कब होती है?

यदि फरार व्यक्ति के बारे में कोर्ट को यह पता चलता है कि वह अपनी सम्पत्ति के किसी भाग को बेचने वाला है तब तुरंत ही कोर्ट उसकी प्रॉपर्टी के कुर्की के आदेश जारी कर सकती है। कुर्की का आदेश होने के बाद ही उस व्यक्ति की संपत्ति को कुर्की के लिए authorized कर दिया जाता है।

कुर्की वारंट कब होता है?

कुर्की के आदेश का निष्पादन कैसे जाता हैं

यदि उस व्यक्ति की संपत्ति अन्य किसी जिले में भी है तो वहां के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तब कुर्की को प्राधिकृत करेगा, जब घोषणा की पृष्ठांकित कर दिया जाएगा । यदि वह संपत्ति जिसे कुर्क करने के आदेश है ।

कुर्की वारंट का मतलब क्या होता है?

कुर्की (Attachment) एक विधिक प्रक्रिया]] है जिसके द्वारा कोई न्यायालय किसी ऋणदाता के निवेदन पर ऋणी की किसी सम्पत्ति को ऋणदाता को देने या बेचने का आदेश देता है ताकि ऋणदाता को अपनी सम्पत्ति मिल सके।

निष्पादन में संपत्ति की कुर्की क्या है?

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 (Civil Procedure Code,1908) की धारा 60 कुर्की से संबंधित धारा है। यह धारा संहिता की महत्वपूर्ण धारा है। कुर्की एक प्रसिद्ध शब्द है, जहां किसी कर्जदार से वसूली के लिए उसकी संपत्ति को न्यायालय कुर्क करता है, फिर उसकी बोली लगाकर लेनदार को अदायगी करवाई जाती है।

सीआरपीसी धारा 85 क्या है?

सीआरपीसी की धारा 85 (CrPC Section 85)

(1) यदि उद्भोषित व्यक्ति (Exasperated person) उद्घोषणा में विनिर्दिष्ट समय (Specified time) के अंदर हाजिर (Appear) हो जाता है तो न्यायालय (Court) संपत्ति को कुर्की से निर्मुक्त (Free from attachment) करने का आदेश (Order) देगा.

वारंट के बिना गिरफ्तारी क्या है?

ऐसे अपराध जिनके लिए वारण्ट के बिना गिरफ्तारी की जा सकती है को संज्ञेय अपराध कहते हैं। जैसे कि हत्या, यौन अपराध, अम्लीय हमला, आग शुरू करना, दंगा फसाद करना इत्यादि। सामान्यतः मजिस्ट्रेट अपराध का चार्ज लेगा। क्योंकि इस प्रकार के अपराध में पुलिस द्वारा तुरन्त कार्यवाही करना आवश्यक होता है।

गिरफ्तारी का वारंट कब तक लागू रहता है?

सीआरपीसी की धारा 70 (CrPC Section 70)

(2) ऐसा प्रत्येक वारंट तब तक प्रवर्तन (Enforcement) में रहेगा, जब तक वह उसे जारी करने वाले न्यायालय द्वारा रद्द (Cancelled) नहीं कर दिया जाता है या जब तक वह निष्पादित (executed) नहीं कर दिया जाता है.

गिरफ्तारी वारंट कैसे करते हैं?

वारंट एक अधिकारिक आदेश है जो मजिस्ट्रेट द्वारा हस्ताक्षरित किया जाता है जिससे वह पुलिस को कुछ कार्य करने के बाबत् आदेश देती है। ‘गिरफ्तारी वारण्ट’ किसी को गिरफ्तार करने का मजिस्ट्रेट का आदेश है। कुछ परिस्थितियों में मजिस्ट्रेट किसी अन्य व्यक्ति को भी गिरफ्तारी वारण्ट निष्पादित करने के लिए अधिकृत कर सकती है।

वारंट कब करते हैं?

वारंट एक ऐसा आदेश है ,जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। वारंट जारी करते समय न्यायालय बड़ी सावधानी बरतता है क्योंकि गिरफ्तारी का वारंट किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त अथवा प्रतिबंधित करता है।

कुर्की कब होती है?

कुर्की (Attachment) एक विधिक प्रक्रिया]] है जिसके द्वारा कोई न्यायालय किसी ऋणदाता के निवेदन पर ऋणी की किसी सम्पत्ति को ऋणदाता को देने या बेचने का आदेश देता है ताकि ऋणदाता को अपनी सम्पत्ति मिल सके।

क्या पिता के जीवित होने पर पुत्र पिता की संपत्ति पर दावा कर सकता है?

संपत्ति के मालिक के बेटा या बेटी केवल अपने पिता की दया पर ही उस संपत्ति का प्रयोग कर सकते हैं, पिता अपनी मर्जी से ही अपने बेटा या बेटी को घर से जाने के लिए भी कह सकते हैं। संपत्ति के मालिक के आलावा चाहे कोई भी हो मालिक के जीवित रहने तक उस संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं।

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धारा 70 का मतलब क्या होता है?

IPC की धारा 70 के मुताबिक, जुर्माना या उसका कोई भाग, जो चुकाया न गया हो (Remains unpaid), दण्डादेश (Sentence) दिए जाने के पश्चात् छह वर्ष के भीतर किसी भी समय, और यदि अपराधी दण्डादेश के अधीन छह वर्ष से अधिक के कारावास से दण्डनीय (Punishable with imprisonment) हो तो उस अवधि की समाप्ति से पूर्व (Before the end of the …

76 केस क्या होता है?

आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 76 के अनुसार, कोई भी कार्य, जो किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाए, जो उसे करने के लिए विधि द्वारा आबद्ध (Bound by law) हो या जो तथ्य की भूल (Mistake of fact) के कारण, न कि विधि की भूल के कारण सद्भावपूर्वक विश्वास (Good faith) करता हो कि वह ऐसा कार्य करने के लिए कानून द्वारा बाध्य है, …

क्या पुलिस को किसी को मारने का अधिकार है?

जी नहीं। ऐसा कोई भी अधिकार पुलिस के पास नहीं है। यदि पुलिस किसी को प्रताड़ित करती है तो वह पीड़ित माननीय न्यायालय की मदद ले सकता है। पुलिस के पास किसी भी आरोपी को मारने का कोई अधिकार नहीं है पुलिस के पास जो अधिकार होते हैं वह नागरिकों के संरक्षण के लिए होते हैं।

पुलिस वारंट कौन जारी करता है?

वारंट एक ऐसा आदेश है ,जो किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। वारंट जारी करते समय न्यायालय बड़ी सावधानी बरतता है क्योंकि गिरफ्तारी का वारंट किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त अथवा प्रतिबंधित करता है।

क्या पुलिस बिना वारंट के पूछताछ कर सकती है?

पुलिस बिना वारण्ट कब गिरफ्तार कर सकती है? उपरी तौर पर, दो परिस्थितियों में पुलिस आपको बिना वारण्ट गिरफ्तार कर सकती है। पहला, जब आप असंज्ञेय अपराध कारित करने के संदिग्ध हैं। दूसरा, जब पुलिस को यह आशंका हो कि आप संज्ञेय अपराध कारित करने वाले हैं।

भारत में वारंट कौन देता है?

भारत कोड: अनुभाग विवरण। (1) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट अपने स्थानीय क्षेत्राधिकार के भीतर किसी भी भागे हुए अपराधी, घोषित अपराधी या गैर-जमानती अपराध के आरोपी किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए किसी भी व्यक्ति को वारंट निर्देशित कर सकता है। गिरफ्तारी से बच रहा है।

क्या पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है?

[(2) धारा 42, एक शिकायत किया गया है या विश्वसनीय जानकारी प्राप्त हो गया है या उचित संदेह उसकी इतनी चिंतित होने की मौजूद है या जिनके खिलाफ एक गैर संज्ञेय अपराध के संबंध में कोई भी व्यक्ति के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सिवाय गिरफ्तार किया जाएगा एक मजिस्ट्रेट के एक वारंट या आदेश के तहत.]

वारंट को हिंदी में क्या बोलते हैं?

[सं-पु.] – 1. वह पत्र जिसके द्वारा किसी को कोई काम करने का अधिकार या आज्ञा दी गई हो; अधिकारपत्र 2. किसी को पकड़ने या माल ज़ब्त करने की लिखित आज्ञा; अधिपत्र।

कुर्की का आदेश कौन देता है?

कुर्की के आदेश का निष्पादन कैसे जाता हैं

यदि उस व्यक्ति की संपत्ति अन्य किसी जिले में भी है तो वहां के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा तब कुर्की को प्राधिकृत करेगा, जब घोषणा की पृष्ठांकित कर दिया जाएगा । यदि वह संपत्ति जिसे कुर्क करने के आदेश है ।

धारा 83 CrPC क्या है?

सीआरपीसी की धारा 83 (CrPC Section 83)

(3) यदि वह संपत्ति जिसको कुर्क करने का आदेश (Attachment order) दिया गया है, ऋण (Loan) या अन्य जंगम संपत्ति हो, तो इस धारा के अधीन (Under the section) कुर्की (क) अभिग्रहण (Capture) द्वारा की जाएगी ; अथवा (ख) रिसीवर की नियुक्ति (Appointment of receiver) द्वारा की जाएगी.

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मां की जमीन पर किसका हक होता है?

इसका मतलब यह है कि अगर मां की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाती है, तो बेटे का अपनी मां की स्व-अर्जित संपत्ति पर दावा होता है। बेटी और बेटे का समान अधिकार है।

क्या मां के जिंदा होने पर बेटी मां की संपत्ति पर दावा कर सकती है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की बिना वसीयत के मौत हो जाने पर भी उसकी संपत्ति पर उसकी बेटी का अधिकार बनता है. ऐसे मामलों में संपत्ति पर बेटी का अधिकार दूसरे उत्तराधिकारियों से ज्यादा होगा. फैसला हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं के अधिकारों के संबंध में था.

धारा 420 में क्या होता है?

आइपीसी की धारा 420

धारा 420 धोखाधड़ी के गंभीर रूपों के लिए सजा का प्रावधान करती है जहां अपराधी बेईमानी से किसी व्यक्ति को कोई संपत्ति देने या किसी मूल्यवान सुरक्षा में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करता है। दूसरे शब्दों में, धारा 420 विशेष रूप से धोखाधड़ी के गंभीर मामलों को दंडित करती है।

धारा 86 का मतलब क्या होता है?

IPC की धारा 86 के अनुसार, उन हालात में, जहां कि कोई किया गया कार्य अपराध नहीं होता जब तक कि वह किसी विशिष्ट ज्ञान या आशय से न किया गया हो, कोई व्यक्ति, जो वह कार्य मत्तता की हालत (State of intoxication) में करता है, इस प्रकार बरते जाने के दायित्व के अधीन (Subject to liability) होगा मानो उसे वही ज्ञान (knowledge) था जो …

376 का मतलब क्या होता है?

क्‍या है आईपीसी की धारा 376

भारतीय दंड संह‍िता (IPC) की धारा 376 के तहत अगर किसी मह‍िला के साथ कोई जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे रेप की श्रेणी में शामिल किया जायेगा। ऐसा करने वा शख्‍स कानून की नजर में दोषी होगा और उसके ख‍िलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इस कानून के दुरुपयोग की खबरें लगातार आ रही हैं।

धारा 24 क्या बताती है?

IPC Dhara 24 – “बेईमानी”

जो कोई एक व्यक्ति को गलत लाभ या दूसरे व्यक्ति को गलत नुकसान पहुंचाने के इरादे से कुछ भी करता है, उसे “बेईमानी” करने के लिए कहा जाता है।

क्या पुलिस गाली दे सकती है?

अगर कोई ऑफ़िसर अपनी पावर्स का गलत यूज़ करता है और किसी व्यक्ति को अपनी पावर के रौब में गाली देता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं है, तो इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 197 के तहत सेंट्रल गवर्नमेंट से परमिशन लेकर इंटरफेयर किया जा सकता है। बल्कि जरूरत पड़ने पर उस पुलिस ऑफ़िसर के अगेंस्ट के सभी किया जा सकता है।

क्या पुलिस रात में गिरफ्तार कर सकती है?

24 घण्टे के बाद पुलिस आपको सिर्फ मजिस्ट्रेट की आज्ञा से हिरासत में रख सकती है। वह पुलिस अथवा न्यायिक अभिरक्षा की मांग कर सकते हैं।

क्या पुलिस बिना नोटिस के गिरफ्तार कर सकती है?

दरअसल, सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जब पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट ऑर्डर या वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जबकि 41ए के तहत मुख्यतः उन बातों का जिक्र है जिनमें पुलिस अधिकारी के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बजाय नोटिस दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

फोन पर गाली देने पर कौन सी धारा लगती है?

जब यह मामला कोर्ट में आएगा और कोर्ट को लगेगा कि आपके पक्ष में पेश किए गए सबूत और गवाह पर्याप्‍त हैं तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई रोकनी होगी. यदि किसी भी मामले में आपको साजिश करके फंसाया जा रहा हो तो आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. हाईकोर्ट में केस चलने के दौरान पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती.

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कोई झूठा केस लगा तो क्या करें?

अगर कोई पुलिस अधिकारी (भारत में) मुझे थप्पड़ मारता है और गालियां देता है तो मेरे अधिकार क्या हैं? जिस वक्त आपको थप्पड़ मार रहा है या मारने को उद्यत हो जाये तब आपकी आत्मरक्षा का कानूनी अधिकार है। गाली देते समय भी यह अधिकार है। यह आत्मरक्षा का अधिकार है।

क्या पुलिस को गाली देने का अधिकार है?

यूटिलिटी डेस्क। बिना परमिशन के पुलिस आपके घर में नहीं घुस सकती। यदि पुलिस घर में आ रही है तो आप आप पुलिस से वारंट दिखाने की मांग कर सकते हैं।

क्या पुलिस किसी के घर में घुस सकती है?

अगर कोई पुलिस अधिकारी (भारत में) मुझे थप्पड़ मारता है और गालियां देता है तो मेरे अधिकार क्या हैं? जिस वक्त आपको थप्पड़ मार रहा है या मारने को उद्यत हो जाये तब आपकी आत्मरक्षा का कानूनी अधिकार है। गाली देते समय भी यह अधिकार है। यह आत्मरक्षा का अधिकार है।

फरार व्यक्ति से क्या अभिप्राय है?

CrPC Section 83

यदि फरार व्यक्ति के बारे में कोर्ट को यह पता चलता है कि वह अपनी सम्पत्ति के किसी भाग को बेचने वाला है तब तुरंत ही कोर्ट उसकी प्रॉपर्टी के कुर्की के आदेश जारी कर सकती है। कुर्की का आदेश होने के बाद ही उस व्यक्ति की संपत्ति को कुर्की के लिए authorized कर दिया जाता है।

घर की कुर्की कब होती है?

(1) यदि किसी न्यायालय के पास यह विश्वास करने का कारण है (साक्ष्य लेने के बाद या नहीं) कि कोई व्यक्ति जिसके खिलाफ वारंट जारी किया गया है, फरार हो गया है या खुद को छुपा रहा है ताकि इस तरह के वारंट को निष्पादित नहीं किया जा सके, ऐसा न्यायालय एक लिखित प्रकाशित कर सकता है उद्घोषणा के लिए उसे एक निर्दिष्ट स्थान पर और एक पर उपस्थित होने की आवश्यकता होती है …

82 करोड़ पीसी क्या है?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अगर जमीन का असली मालिक अपनी जमीन को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए बनाए गए नियम के समय सीमा के अंदर कोई कदम नहीं उठाएंगे, तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस जमीन पर जिसने विगत 12 वर्षों से कब्जा जमा रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा।

12 साल जिसका कब्जा जमीन उसकी?

भारत के संविधान में हिन्दू उत्तराधिकार कानून के मुताबिक बेटी का पिता की संपत्ति पर उतना ही हक है जितना कि एक बेटे का होता है। आपको बता दें कि इस कानून को साल 1956 में बनाया गया था।

बाप की संपत्ति में बेटी का कितना हक है?

इसका मतलब यह है कि अगर मां की मृत्यु बिना वसीयत के हो जाती है, तो बेटे का अपनी मां की स्व-अर्जित संपत्ति पर दावा होता है। बेटी और बेटे का समान अधिकार है।

पति की संपत्ति में पत्नी का कितना अधिकार है?

कानून में सजा का प्रावधान

एडवोकेट सुनील आनंद ने बताया कि झूठ बोलने वाले शख्स को पहले सीआरपीसी की धारा-344 के तहत नोटिस जारी किया जाता है। फिर उस पर सुनवाई होती है। झूठ साबित होने पर उसे 6 महीने की कैद व 500 से 1000 रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है।

झूठ बोलने की कौन सी धारा लगती है?

उत्तर: पैसे न देने पर धारा 420 लगती है।