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घंटी बजने से क्या होता है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

बार में घंटी बजने पर इसका क्या मतलब होता है?

यह संकेत देने के लिए एक घंटी बजाई जाती है कि बार में आपके अंतिम ऑर्डर देने का समय आ गया है । बार बंद होने का संकेत देने के लिए इसे फिर से बजाया जाता है।

घर में घंटी बजाने से क्या होता है?

-स्कंद पुराण के अनुसार घंटी बजाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है. -जिस घर पर प्रतिदिन गरुड़ घंटी बजती है वहां धन-वैभव की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है.

घंटी की आवाज सुनने से क्या होता है?

घंटी बजाने का वैज्ञानिक महत्व

ये तरंगे वायुमंडल में उपस्थित हानिकारक सूक्ष्म जीवों और विषाणुओं को नष्ट कर देती हैं। घंटी की आवाज से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार घंटी की ध्वनि से व्यक्ति के मन, मस्तिष्क और शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है।

शाम को घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?

– हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा कि बताया गया है कि शाम के वक्त पूजा के दौरान घंटी या शंख नहीं बजाना चाहिए. क्योंकि सूर्य अस्त होने के बाद देवी देवता शयन को चले जाते हैं और घंटी और शंख बजाने से उनके आराम में खलल पड़ता है.

शाम को घंटी बजाने से क्या होता है?

घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण

जिससे फायदा यह होता है कि घंटी की कंपन के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है.

हिंदू मंदिरों में घंटियां क्यों होती हैं?

घंटी की आवाज शुभ मानी जाती है जो देवत्व का स्वागत करती है और बुराई को दूर करती है । कहा जाता है कि घंटी की आवाज मन को चल रहे विचारों से अलग कर देती है जिससे मन अधिक ग्रहणशील हो जाता है। कहा जाता है कि प्रार्थना के दौरान घंटी बजने से हमेशा भटकने वाले मन को नियंत्रित करने और देवता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।

मंदिर में घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

घंटी बजाने का वैज्ञानिक कारण

घंटे की कंपन के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं. जिस कारण हमारे आस-पास का वातावरण शुद्ध हो जाता है. यही कारण है कि मंदिर और उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध रहता है.

घंटी क्यों बजती है?

हिंदू धर्म में पूजा के दौरान घंटी बजाने की परंपरा काफी पुरानी है. घंटी बजाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और इससे पूजा सफल होती है. पूजा में प्रयोग की जाने वाली घंटी कई प्रकार की होती है. जैसे गरुड़ घंटी, द्वार घंटी, हाथ घंटी और घंटा, लेकिन सभी घंटियों में पूजा के लिए गरुड़ घंटी को खास माना जाता है.

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शंख टूटने से क्या होता है?

इस विषय पर शास्त्र कहता है कि शंख का टूटना अशुभ नहीं बल्कि शुभ होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शंख (घर पर शंख रखने के नियम) सकारात्मकता का संचार करता है और ऐसे में अगर ये टूट जाए तो इसका अर्थ होता है कि कोई बुरी बला या होने वाली अशुभ घटना टल गई है।

पूजा घर में क्या नहीं करना चाहिए?

ऐसी मान्‍यता है कि घर के पूजा स्‍थल में हमें मूर्तियां नहीं स्‍थापित करनी चाहिए। इसे गृहस्‍थ लोगों के लिए अच्‍छा नहीं माना जाता है। आप इसके स्‍थान पर तस्‍वीरों या फिर बहुत छोटी मूर्तियां रख सकते हैं और किसी भी भगवान की एक से अधिक तस्‍वीर या फिर प्रतिमा न रखें।

मंदिर से लौटते समय घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?

यदि हम किसी के घर जाते हैं तो दरवाजे पर नॉक करते हैं या बैल बजाते हैं लेकिन लौटते वक्त हम यही कार्य नहीं करते हैं। इसी तरह लौटते वक्त मंदिर की घंटी बजाना मंदिर नियम के विरूद्ध है। 2. घंटी मंदिर में प्रवेश करते वक्त और आरती के वक्त ही बजाई जाती है।

क्या हम घर पर मंदिर की घंटी टांग सकते हैं?

ऐसा माना जाता है कि घंटियाँ बुरी आत्माओं को दूर भगाती हैं या मंत्र डालने या निकालने के लिए उपयोग की जाती हैं। वे सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने के लिए सकारात्मक ऊर्जा को प्रसारित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसी घंटियों को घर की वेदी पर भी लटकाया जा सकता है और घंटियों के बजने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

मुस्लिमों ने कितने मंदिरों को तोड़ा?

60 हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ डाला गया था। कई मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण कराया गया था।

मंदिरों में फोटो खींचना क्यों मना होता है?

क्यों मंदिरों में फ़ोटो खींचना मना होता है? इन्हीं फोटो को वे लोग भक्तों को बेचकर पैसे बनाने का काम करते हैं। फोटो खींचने से रोकने के पीछे का सच यही है कि फोटो से पैसा कमाने का काम किया जाता है। इस अवैधानिक काम पर रोक लगनी ही चाहिए और मंदिरों में भक्तों को फोटो खींचने की इजाजत मिलनी चाहिए।

घंटी को हिंदी में क्या बोलते हैं?

[सं-स्त्री.] – 1. पीतल या किसी अन्य धातु से बनी छोटी-सी शंकु के आकार की वस्तु, जिसे हिलाने पर एक विशेष प्रकार की टिन-टिन की ध्वनि उत्पन्न होती है; छोटा घंटा 2.

शंख को चावल के नीचे क्यों नहीं रहता?

ऐसा चावल के बैग के अंदर बने कम दबाव के कारण होता है, जो भरते समय बनता है। इस प्रकार हवा शंख में निरंतर प्रवेश होती रहती है, और इस प्रकार वह ऊपर की ओर उठता रहता है।

मंदिर में घंटी दान करने से क्या होता है?

अगर आपका कोई काम नहीं बन रहा है तो आप मंगलवार या शनिवार को किसी मंदिर में पीतल की घंटी दान करें। ऐसा करने से आपको मुसीबतों से छुटकारा मिलेगा।

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घर में मंदिर कहाँ नहीं होना चाहिए?

घर में मंदिर पूर्व, उत्तर दिशा या ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने में बनाना चाहिए। अगर इस दिशा में मंदिर बनाना संभव न हो तो पश्चिम दिशा में बनवा सकते हैं, लेकिन दक्षिण दिशा में मंदिर बनवाने से बचना चाहिएमंदिर के लिए ये दिशा शुभ नहीं मानी जाती है। पूजा करने वाले व्यक्ति का मुंह पश्चिम दिशा में हो तो शुभ रहता है।

घर के मंदिर में क्या नहीं होना चाहिए?

पूजा कक्ष डिजाइन करते समय यह देखना जरूरी है कि मंदिर में देवताओं का मुख सही दिशा में है या नहीं। इसके अलावा, देवताओं की मूर्तियों का चेहरा माला और फूलों से ढकना नहीं चाहिए। हमेशा भगवान की ठोस मूर्ति रखें और मंदिर में खोखली मूर्ति रखने से बचें। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर में मूर्तियों को फर्श पर न रखें

मंदिरों का पैसा कौन लेता है?

यह मस्जिदों या चर्चों से नहीं वसूला जाता। कई मंदिरों में ऑडिट फीस, प्रशासन चलाने की फीस और दूसरे तरह के टैक्स वसूले जाते हैं। किसी-किसी मंदिर की आय का लगभग 65-70 फीसद तक सरकार हथिया लेती है।

औरंगजेब ने कौन सी मस्जिद तोड़ी?

इसी बिंदु माधव के मंदिर जिसे 1580 में रघुनाथ टंडन ने बनवाया था, औरंगजेब ने 1669 में तोड़कर आलमगीर मस्जिद तामीर करवाई.

मंदिरों के प्रवेश द्वार को क्या कहते हैं?

प्रागंण का मुख्य प्रवेश द्वार ‘गोपुरम्’ कहलाता है।

घंटी बजने से क्या होता है?

वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।

घंटी क्यों लगाई जाती है?

घंटी बजाने की धार्मिक मान्यता

-कहा जाता है कि देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए भी घंटी बजानी चाहिए. मान्यता है कि घंटी की आवाज से देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि रखते हैं. -माना जाता है कि घंटी की आवाज से मन शांत और प्रसन्न रहता है. इसलिए पूजा के दौरान घंटी बजाई जाती है.

शंख में पानी भरकर रखने से क्या होता है?

शंख को लेकर वैज्ञानिक तथ्य यह कहा जाता है कि शंख का जल खराब नहीं होता है। साथ ही उसके छिड़कने से कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का भी नाश हो जाता है। शंख में जो गंधक, कैल्सियम और फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है, उसके अंश जल में आ जाते हैं। इसलिए शंख के जल को छिड़कने और पीने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

भगवान की पूजा कब नहीं करनी चाहिए?

यदि हम ज्योतिष के नियमों की मानें तो दोपहर 12 से 3 बजे का समय देवताओं के आराम का समय माना जाता है और इस समय यदि पूजन किया जाता है तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है। इसके साथ ही, इस समय को अभिजीत मुहूर्त कहा जाता है और ये पितरों का समय माना जाता है। इस वजह से इस विशेष समय अवधि में देवताओं की पूजा का विधान नहीं है।

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घर में रोज कौन सी आरती करनी चाहिए?

पुराणों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। इसके साथ ही शंख और घंटी का प्रयोग आरती में जरूर होना चाहिए

सुबह उठते ही मुख्य द्वार पर क्या करना चाहिए?

घर के प्रवेश द्वार पर ओम, श्री गणेश, मां लक्ष्‍मी के चरण चिन्‍ह और शुभ-लाभ के प्रतीक चिह्नों को लगाएं। इससे आपके घर में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होगा और नकारात्‍मक ऊर्जा का क्षय होगा। ख्‍याल रखें कि सुबह जब भी मुख्‍य द्वार खोलें तो सर्वप्रथम इन प्रतीक चिन्‍हों को प्रणाम करें, इसके बाद ही द्वार खोलें।

मेन गेट पर कौन सा फोटो लगाना चाहिए?

4- मेनगेट पर हमें स्वास्तिक, ऊँ या भगवान गणेश की प्रतिमा लगानी चाहिए। ऐसा करने से शुभता में वृद्धि होती है और घर में सुख –समृद्धि का आगमन होता है।

सबसे अच्छा दान कौन सा है?

ज्ञानदान और अभयदान को भी श्रेष्ठ दानों में गिना गया है।

मंदिर में माचिस क्यों नहीं रखते?

माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल

ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए।

घर में किसकी पूजा करनी चाहिए?

घर के पूजनस्थल में किन देवी-देवताओं को स्थापित करना चाहिए यह भी वास्तु के लिहाज से आवश्यक होता है। वास्तुशास्त्र कहता है कि गुडलक पाने के लिए पूजाघर में विष्णु, लक्ष्मी, राम-सीता, कृष्ण, एवं बालाजी जैसे सात्विक एवं शांत देवी देवता का यंत्र, मूर्ति और तस्वीर रखना शुभ फलदायी होता है।

मां काली की फोटो घर में क्यों नहीं रखनी चाहिए?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में कभी भी मां काली की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मां काली दुर्गा माता का विध्वंसक रूप है जो हमेशा क्रोध रूप में होती है। मां काली की पूजा तंत्र साधना में अधिक की जाती है। इसलिए इस तरह की तस्वीर पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए

घर के मंदिर में माचिस रखने से क्या होता है?

घर में बना मंदिर घर का सबसे पवित्र स्थान होता है यहां पर माचिस रखना घर में नकारात्‍मकता लाता है और अपशगुन का कारण बनता है. घर के मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ति-तस्‍वीरें रखी जाती हैं, उनकी पूजा की जाती है इसलिए यहां पर हमेशा पवित्र और सकारात्‍मकता लाने वाली चीजें ही रखनी चाहिए.