उत्तर: (क) खुशबू रचनेवाले हाथ अत्यंत कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के किनारे रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित वातावरण में जीवन बिताते हैं।
खुशबू रचने वाले हाथ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ कहाँ रहते हैं कवि ने यह क्यों कहा है कि खुशबू रचते हैं हाथ?
'खुशबू रचनेवाले हाथ' कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ–कहाँ रहते हैं? उत्तर:- खुशबू रचते हाथ अपना जीवनयापन बड़ी ही निम्न परिस्तिथियों में करते हैं। खुशबू रचनेवाले हाथ बदबूदार, तंग और नालों के पास रहते हैं। इनका घर कूड़े-कर्कट और बदबू से भरे गंदे नालों के पास होता है यहाँ इतनी बदबू होती है कि सिर फट जाता है।
अगरबत्ती बनाकर खुशबू रचने वाले लोग कहाँ रहते हैं?
Question 1: 'खुशबू रचनेवाले हाथ' कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ कहाँ रहते हैं? उत्तर:अगरबत्ती बनाने वाले गरीब तबके के लोग होते हैं। ऐसे लोग तंग गलियों में, बदबूदार नाले के किनारे और कूड़े के ढ़ेर के बीच रहते हैं। बड़े शहरों की किसी भी झोपड़पट्टी में आपको ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा।
खुशबू रचने वाले लोग बदबूदार टोले में क्यों रहते हैं व्याख्या कीजिए?
(ग) कवि ने ऐसा इसलिए कहा कि गंदगी में जीवन व्यतीत करनेवाले लोगों के हाथ खुशबूदार पदार्थों की रचना करते हैं। क्योंकि ये लोग स्वयं बदहाली और विषम परिस्थितियों में अपना जीवन बिताते हैं परन्तु दूसरों का जीवन खुशहाल बनाते हैं।
खुशबू रचने वाले हाथ क्या बनाते हैं?
खुशबू रचते हैं हाथ।
व्याख्या – कवि कहता है कि इसी तंग गली में पूरे देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ बनती हैं। उस गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) ही केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।
कवि के हाथ कैसे हैं?
(ख) कविता में निम्न प्रकार के हाथों की चर्चा हुई है – उभरी नसों वाले हाथ, पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ, गंदे कटे-पिटे हाथ, घिसे नाखूनों वाले हाथ, जूही की डाल से खूशबूदार हाथ,जख्म से फटे हाथ आदि। (ग) कवि ने ऐसा इसलिए कहा कि गंदगी में जीवन व्यतीत करनेवाले लोगों के हाथ खुशबूदार पदार्थों की रचना करते हैं।
पीपल के पत्तों की कैसे हाथों से तुलना की गई है?
इन पंक्तियों में कवि ने हमारा ध्यान उन छोटे बच्चों की ओर आकर्षित करना चाहा है जिनके हाथ पीपल के नए पत्तों के समान कोमल होते हैं तथा ऐसी स्त्रियों का वर्णन किया है जिनके हाथ जूही की डाल के समान सुंदर और खुशबूदार है किन्तु गरीबी के कारण ये अत्यन्त कठोर और भयावह हो जाते हैं यह इनके जीवन की एक ऐसी विडंबना है कि ये शहरों से …
सबसे अच्छा अगरबत्ती कौन सा है?
प्रत्येक व्यक्ति की सुगंध और पसंद दोनों अलग-अलग होती है पर मैं यहां पर आपको अपने अनुभव के आधार पर बताने जा रहा हूं मैंने वैसे तो बहुत सी अगरबत्ती का इस्तेमाल किया है परंतु मुझे जो सबसे अच्छी अगरबत्ती पसंद आई वह है पराग कंपनी की मैसूर कस्तूरी अगरबत्ती इस अगरबत्ती को आप अमेजॉन से ऑनलाइन खरीद सकते हैं या फिर अपनी किसी …
पीपल के पत्ते से नए नए हाथ का क्या अर्थ है?
इन पंक्तियों में कवि ने हमारा ध्यान उन छोटे बच्चों की ओर आकर्षित करना चाहा है जिनके हाथ पीपल के नए पत्तों के समान कोमल होते हैं तथा ऐसी स्त्रियों का वर्णन किया है जिनके हाथ जूही की डाल के समान सुंदर और खुशबूदार है किन्तु गरीबी के कारण ये अत्यन्त कठोर और भयावह हो जाते हैं यह इनके जीवन की एक ऐसी विडंबना है कि ये शहरों से …
अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ कैसे होते हैं?
उत्तर: अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ किस्म किस्म के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं। किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ बच्चे भी काम करते हैं जिनके हाथ पीपल के नये पत्तों की तरह कोमल होते हैं।
खुशबू रचने वाले लोग बदबूदार टोले में क्यों रहते हैं?
उत्तर:- खुशबू रचते हाथ अपना जीवनयापन बड़ी ही निम्न परिस्तिथियों में करते हैं। खुशबू रचनेवाले हाथ बदबूदार, तंग और नालों के पास रहते हैं। इनका घर कूड़े-कर्कट और बदबू से भरे गंदे नालों के पास होता है यहाँ इतनी बदबू होती है कि सिर फट जाता है। ऐसी विषम परिस्तिथियों में खुशबू रचनेवाले हाथ रहते हैं।
बदबू से फटते जाते इस टोले के अंदर खुशबू रचते हैं हाथ में बदबू और खुशबू से कवि क्या कहना चाहते हैं?
कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं। खुशबू रचते हैं हाथ। व्याख्या – कवि कहता है कि इसी तंग गली में पूरे देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ बनती हैं। उस गंदे मुहल्ले के गंदे लोग (गरीब लोग) ही केवड़ा, गुलाब, खस और रातरानी की खुशबू वाली अगरबत्तियाँ बनाते हैं।
एक अच्छे कवि कैसे बने?
- [Step-1] Poetry सुने और पढ़ें …
- [Step-2] Learn Hindi and Urdu. …
- [Step-3] Poetry की शैली सीखे …
- [Step-4] शायरी / कविता लिखें …
- [Step-5] मुशायरे एवं कवी सम्मेलन में जाएँ …
- [Step-6] Join Poet’s Groups. …
- [Step-7] मंच पर जाएँ
कवि क्यों दुखी है?
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि प्रेमिका के वियोग के कारण अपनी दुःखद स्थिति का वर्णन करता है। वह प्रेमिका के निष्ठुर व्यवहार से दुखी है और कहता है कि तुम इस प्रकार का व्यवहार मेरी ओर से कब तक रखोगी।
पीपल के पत्ते को पर्स में रखने से क्या होता है?
पीपल के पत्ते कराते हैं धन लाभ
मान्यता है कि दिन में मां लक्ष्मी पीपल के पत्ते में वास करती हैं। इसलिए पीपल का पत्ता जेब में रखने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। ध्यान रखें कि जब भी पत्ता पर्स में रखें तो सबसे पहले उसे गंगाजल से पवित्र कर लें। इसके बाद कुमकुम से उस पर ‘श्री’ लिखकर पत्ता पर्स में रख लें।
पीपल के पत्ते कब नहीं तोड़ना चाहिए?
मान्यता है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। यही वजह है कि इस पेड़ को काटना शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन कभी पेड़ काटना ही पड़े तो रविवार के दिन ही काटना चाहिए। और जब भी पेड़ काटें तो पीपल देवता से माफी जरूर मांग लें।
घर में कौन सी धूप जलाना चाहिए?
यदि आप गुग्गल की धूप को नियमित घर पर जलाते हैं तो इससे घर का क्लेश शांत होता है और घर में सकारात्मक उर्जा आती है। इसके अलाव घर का माहौल सुगंधित होता है।
अगरबत्ती की खोज किसने की?
200 सीई के आसपास, घूमने वाले बौद्ध भिक्षुओं के एक समूह ने चीन में अगरबत्ती बनाना शुरू किया। सामग्री के आधार पर कुछ धूप, जैविक कीट विकर्षक के रूप में भी कार्य कर सकती हैं।
पीपल के नीचे दिया रखने से क्या होता है?
पीपल के नीचे दीपक रखने का ऐसा नियम
मान्यता है कि प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। वहीं अगर नियमित रूप से 41 दिनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
पीपल के पेड़ के नीचे बैठने से क्या होता है?
अगर आपकी किसी के साथ शत्रुता है और आपका शत्रु आपको परेशान कर रहा है, तो पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर हनुमान चालीसा का भी पाठ जरूर करें. इस तरह से आपको आपके शत्रुओं से जुड़ी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी साथ ही आपके शत्रुओं का नाश होगा.
गाय के गोबर से अगरबत्ती कैसे बनती है?
धूप अगरबत्ती : एक गाय के दिनभर में जमा होने वाले आठ से दस किलो गोबर में पांच किलोग्राम लकड़ी का बुरादा, आधा किलोग्राम बाजार में मिलने वाला चंदन पाउडर, आधा लीटर नीम का रस, 10 टिकिया कर्पूर, 250 ग्राम सरसों जौ का आटा तथा 250 ग्राम गौमूत्र (तीन बार उबाला हुआ) मिक्स कर लें।
अगरबत्ती बनाने में कौन सा फूल उपयोग होता है?
- गुड़हल के फूल-4-5.
- रोजमेरी/चंदन का पाउडर- 4 चम्मच
- डिस्टिल्ड वाटर- 3 चम्मच
- लैवेंडर ऑयल- 3 बूंद
- बम्बू स्टिक- 4.
इत्र की खुशबू क्यों फैलती है?
प्रसार: इत्र के कण हवा के कणों के साथ मिल जाते हैं। विसरण के कारण बदबूदार गैस के कण सभी दिशाओं में तेजी से गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं । तो कमरे में इत्र की महक फैल जाती है।
कवि के अनुसार सबसे भूल क्या है?
कवि के अनुसार सबसे बड़ी भूल क्या है ? उत्तर: मानव का सबसे बड़ी भूल है किसी पर आसरा करना । अर्थात् आशा लगाना।
सबसे अच्छे कवि कौन है?
- रामधारी सिंह दिनकर
- सुमित्रानंदन पंत
- महादेवी वर्मा
- हरिवंश राइ बच्चन
- मैथिलीशरण गुप्त
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला
मानव जाति ने अपनी बुद्धि से क्या किया?
Solution. मानव–जाति ने अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण अपनी बुद्धि का प्रयोग अपने व्यक्तिगत हित के लिए किया है। उसने भेदभाव की नीति अपनाते हुए संसार को देशों में बाँट दिया। उसने स्वयं को सर्वोपरि समझते हुए सारी धरती पर अपना अधिकार करना चाहा।
लेखक का घर कहाँ था?
2. लेखक का घर किस शहर में था? उत्तर: लेखक का घर ग्वालियर शहर में था।
पीपल में कौन से भगवान का वास होता है?
पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास माना गया है इसलिए पीपल की पूजा करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।
पीपल में दीपक सुबह कितने बजे जलाना चाहिए?
पीपल के वृक्ष पर जल सूर्योदय के बाद ही चढ़ाना चाहीए। जिससे आपके ऊपर माता लक्ष्मी की कृपा द्रष्टि सदा बनी रहे। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है उसकी सर्व मनोकामनाएं पूर्ण होती है, साथ ही शत्रुओं का नाश भी होता है।
पीपल के पेड़ में लक्ष्मी का वास कब होता है?
शास्त्रों के मुताबिक पीपल के वृक्ष में दिन के समय लक्ष्मी का वास होता है। जबकि पीपल में रात के समय लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का वास होता है। रविवार के दिन पीपल में किसी देवी-देवता का वास नहीं होता है इसलिए देवी लक्ष्मी की बहन ही दिन रात पीपल में वास करती हैं। इस दिन पीपल की पूजा से सुख समृद्धि की हानि होती है।
पीपल को काटने से क्या होता है?
ऐसे वृक्षों में पीपल का स्थान सबसे ऊपर है। माना जाता है कि पीपल को विष्णुजी का वरदान मिला है कि जो कोई शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उस पर लक्ष्मीजी की कृपा रहेगी। इसके उलट, पीपल को काटने वाले के घर की सुख-समृद्धि नष्ट होने की आशंका रहती है। इस कारण लोग पीपल को काटने से बचते हैं।
पीपल का पौधा घर में क्यों नहीं लगाना चाहिए?
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में पीपल के पेड़ होना या पीपल के पेड़ की छाया पड़ना अशुभ होता है. इससे घर परिवार के सदस्यों की तरक्की में बाधा आती है और घर पर आर्थिक संकट आ सकता है.
1 किलो अगरबत्ती बनाने में कितना खर्च आता है?
कम दाम वाली मशीन में प्रोडक्शन कम होती है और आपको इससे ज्यादा मुनाफा नहीं होगा. मेरा ये सुझाव है की आप अगरबत्ती बनाने वाली आटोमेटिक मशीन से काम स्टार्ट करें क्यूंकि ये बहुत तेजी से अगरबत्ती बनता है. आटोमेटिक मशीन की कीमत 90000 से 175000 रुपए तक है. एक आटोमेटिक मशीन एक दिन में 100kg अगरबत्ती बन जाती है.
गाय के गोबर का क्या काम है?
हालांकि, आज के दौर में गोबर का उपयोग उपले बनाने से लेकर खेतों के लिए खाद बनाने के तौर पर किया जा रहा है. इसके अलावा गोबर से कई अन्य तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं, उनका मार्केट में बेहद डिमांड है. बता दें कि किसान गोबर का उपयोग बायोगैस, अगरबत्ती, दीए, कागज, सीएनजी प्लांट, गमला जैसे कई तरह के प्रोडक्ट्स बना सकते हैं.
क्या हमें घर में अगरबत्ती जलानी चाहिए?
वास्तु शास्त्र व ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक घर में अगरबत्ती जलाना अशुभ माना जाता है। माना जाता है कि घर में अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। Lighting Incense Sticks: घर में सुख शांति व सकारात्मक ऊर्जा के लिए हर व्यक्ति पूजा पाठ करता है।
अगरबत्ती के धुएं से क्या होता है?
अगरबत्ती को खुशबूदार बनाने के लिए कार्बन कणों का इस्तेमाल किया जाता है और जब अगरबत्ती जलाते हैं तो धुएं के रूप में कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। नतीजा, यूरिनरी ब्लैडर प्रभावित होता है। लंबे समय तक कार्बन मोनो ऑक्साइड ग्रहण करने से सांस की नली कैंसर की चपेट में आ सकती है।
नाभि में सेंट लगाने से क्या होता है?
प्रतिदिन घर से निकलने वक्त अपनी नाभि में चंदन, गुलाब व मोगरे का इत्र लगाएं, इससे संपन्नता और वैभव बढ़ता जाएगा। चंदन व मोगरे का इत्र नाभि में लगाने से माइग्रेन, सिरदर्द, क्रोध और नींद से संबंधित समस्याएं छू मंतर हो जाती हैं।
नाभि में इत्र लगाने से क्या फायदा होता है?
वास्तुदोष और ग्रहदोष से मुक्ति हेतु : अष्टगंध का इत्र अत्यंत ही प्रिय होती है। इसका नाभि में इस्तेमाल होते रहने से चमत्कारिक रूप से मानसिक शांति मिलती है और घर का वास्तुदोष भी दूर हो जाता है। 5. बदन दर्द या मस्तिष्क दर्द हेतु : नाभि में इत्र लगाने से मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश होता है।
सत्य क्या जानना चाहता है?
वे सत्य को पहचानना तथा जानना चाहते हैं। उनकी मुख्य चिंता यह है कि वे सत्य का स्थिर रूप-रंग और पहचान नहीं खोज पा रहे हैं। यदि वे इन्हें खोज लेते हैं, तो वे सत्य को स्थायित्व प्रदान कर सकेगें। परन्तु सत्य की पहचान और स्वरूप तो घटनाओं, स्थितियों तथा लोगों के अनुरूप बदलती रहती है।
कवि ने दुनिया को मारने वाली क्यों कहा है?
Solution : कवि ने दुनिया को भिखमंगा इसलिए कहा है क्योंकि इस दुनिया के पास दूसरों को देने के लिए कुछ नहीं है, वह तो केवल लेना ही जानती है।
बुद्धि कैसे प्राप्त की जाती है?
बुद्धि महान कैसे होती है ? सत्य बोलने से बुद्धि विलक्षण लक्षणों से सम्पन्न होती है । जप-ध्यान, महापुरुषों के सत्संग द्वारा अपने को परमात्म-रस से तृप्त करने से बुद्धि महान हो जाती है । भगवान के, गुरु के चिन्तन से राग-द्वेष मिटता है और बुद्धि तृप्त होती है ।