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क्या भूलूं क्या याद करूं मैं किस गांव का वर्णन है?

‘क्या भूलूँ क्या याद करूं’ के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश की अमोढ़ा गाँव का उल्लेख है। ‘क्या भूलूँ क्या याद करूं’ आत्मकथा हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखित है।

क्या भूलूं क्या याद करूं पर संक्षिप्त टिप्पणी?

धर्मवीर भारती ने इसे हिन्दी के हज़ार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से कह दिया गया है। डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार इसमें केवल बच्चनजी का परिवार और व्यक्तित्व ही नहीं उभरा है, बल्कि उनके साथ समूचे काल और क्षेत्र भी अधिक गहरे रंगों में उभारा है।

क्या भूलूं क्या याद करूं किस विधा पर आधारित है?

क्या भूलूं क्या याद करूँ हरिवंश राय बच्चन की बहुप्रशंसित आत्मकथा तथा हिन्दी साहित्य की एक कालजयी कृति है। यह चार खण्डों में हैः 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ', नीड़ का निर्माण फिर', 'बसेरे से दूर' और 'दशद्वार से सोपान तक'।

क्या भूलूं क्या याद करूँ किस ने लिखा था?

हरिवंशराय बच्च्न की कालजयी कृतियाँ

क्या भूलूं क्या याद करूँ : क्या भूलूं क्या याद करूँ 1969 में प्रकाशित हरिवंश राय बच्च्न की बहुप्रशंसित आत्मकथा तथा हिंदी साहित्य की एक कालजयी कृति है। इसके लिए बच्चनजी को 1991 में भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार तीन लाख के 'सरस्वती सम्मान' से सम्मनित भी किया जा चुका है।

हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध कविता कौन सी है?

बच्चन के कविता संग्रह
  • तेरा हार / हरिवंशराय बच्चन (1932)
  • मधुशाला / हरिवंशराय बच्चन (1935)
  • मधुबाला / हरिवंशराय बच्चन (1936)
  • मधुकलश / हरिवंशराय बच्चन (1937)
  • निशा निमन्त्रण / हरिवंशराय बच्चन (1938)
  • एकांत-संगीत / हरिवंशराय बच्चन (1939)
  • आकुल अंतर / हरिवंशराय बच्चन (1943)
  • सतरंगिनी / हरिवंशराय बच्चन (1945)

हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध रचना का नाम क्या है?

उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं।

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क्या भूलूँ क्या याद करूँ?

क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं! दोष किसे दूँ जब अपने से, अपने दिन बर्बाद करूँ मैं! क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं! सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आबाद करूं मैं!

आत्मकथा क्या भूलूं क्या याद करूँ?

रचना और रचनाकार संबंधी विचार क्या भूलूँ क्या याद करूँ एक साहित्यिक की आत्मकथा है। इसलिए इस कृति में बच्चन के विचारों की सबसे अधिक प्रखरता वहाँ दिखलाई पड़ती है जब वह रचना और लेखक से जुड़े प्रश्नों पर विचार करता है। यद्यपि इन विचारों का भी गहरा संबंध उसके अपने लेखन और अनुभव से अधिक है और कहीं-कहीं नितांत व्यक्तिगत भी ।

हरिवंश राय बच्चन की आत्मकथा का नाम क्या है?

बच्चन की आत्मकथा हरिवंश राय बच्चन द्वारा चार खण्डों में लिखी गई आत्मकथात्मक कृतियां-क्या भूलूं क्या याद करूं’ (1969); ‘नींड़ का निर्माण फिर’ (1970); ‘बसेरे से दूर’ (1977); ‘दशद्वार से सोपान तक’ (1985) का संक्षिप्त संस्करण है।

कितना अकेला आज मैं?

कितना अकेला आज मैं! संघर्ष में टूटा हुआ, दुर्भाग्य से लूटा हुआ, परिवार से छूटा हुआ, कितना अकेला आज मैं!

पिता क्या है कविता?

उसके दिल में दफन कई मर्म हैं। नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है। इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।

बच्चन जी को संसार क्यों प्रिय नहीं है?

उत्तर: कवि को यह संसार इसलिए प्रिय नहीं है क्योंकि यह अपूर्ण और अधूरा है जबकि कवि सपनों की दुनिया में खोया रहता है जहाँ कोई अभाव नहीं है।

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है?

भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था। है अँधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है। है अँधेरी रात पर दीया जलाना कब मना है। है अँधेरी रात पर दीपक जलाना कब मना है।

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क्या भूलूं क्या याद करूँ का सारांश?

डॉ. धर्मवीर भारती ने इसे हिन्दी के हज़ार वर्षों के इतिहास में ऐसी पहली घटना बताया जब अपने बारे में सब कुछ इतनी बेबाकी, साहस और सद्भावना से कह दिया गया है। डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार इसमें केवल बच्चनजी का परिवार और व्यक्तित्व ही नहीं उभरा है, बल्कि उनके साथ समूचे काल और क्षेत्र भी अधिक गहरे रंगों में उभारा है।

मैं अकेला किसकी रचना है?

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” की कविता: मैं अकेला

बच्चन जी ने जग में क्या लगाया और क्यों?

बच्चन जी ने जग में क्या लुटाया और क्यों? उत्तर: समाज के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण रखनेवाले बच्चन जी ने गूंज-गूंज कर मिटनेवाले गीत बनाए। जब जब समाज के लोगों ने उनके सामने हाथ फैलाए, बच्चन जी ने अपने सुमधुर गीतों का कोष लुटाया जिससे उसका गीत सार्थक बन गया।

बच्चन जी ने जीवन को क्या माना है?

हरिवंश राय बच्चन (27 नवम्बर 1907 – 18 जनवरी 2003) हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे। वे हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक थे । उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है।
सम्बन्धीहस्ताक्षर
हरिवंश राय बच्चन
बच्चन परिवार

क्या हाल है उसका इंग्लिश?

क्या हाल है?” in English

क्या हाल है? {interj.} what’s up?

फादर की स्पेलिंग क्या है गूगल?

Your father is your male parent. His father was a painter.

हिंदी शब्द कहाँ से लिया गया है?

हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द ‘सिन्धु’ से माना जाता है। ‘सिन्धु’ सिन्धु नदी को कहते थे और उसी आधार पर उसके आस-पास की भूमि को सिन्धु कहने लगे। यह सिन्धु शब्द ईरानी में जाकर ‘हिन्दू’, हिन्दी और फिर ‘हिन्द’ हो गया

हिंदी की पहली कहानी का नाम क्या है?

हिन्दी की पहली कहानी माधवराव सप्रे ने लिखी थी। एक टोकरी मिट्टी (टोकनी भर मिट्टी) नाम की यह कहानी छत्तीसगढ़ मित्र नाम की पत्रिका में अप्रैल 1901 के अंक में प्रकाशित हुई थी।

बच्चन जी को संसार क्यों पिया नहीं है?

उत्तर: कवि को यह संसार इसलिए प्रिय नहीं है क्योंकि यह अपूर्ण और अधूरा है जबकि कवि सपनों की दुनिया में खोया रहता है जहाँ कोई अभाव नहीं है।

बच्चन जी को संसार क्यों नहीं है?

बच्चन जी को संसार इसलिए नहीं प्रिय है, क्योंकि यह संसार आधा अधूरा है, जबकि अपने कल्पना के संसार को श्रेष्ठ मानता है और उसी को श्रेष्ठ मानता है। ‘आत्मपरिचय’ कविता में कवि हरिवंशराय बच्चन संसार के सांसारिक बंधनों को नहीं मानते हैं। वह इस संसार की शुष्कता और नीरसता को पसंद नहीं करते। वह इस संसार को आधा-अधूरा मानते हैं।

घर के पूजा घर में माचिस क्यों नहीं रखनी चाहिए?

माचिस रखने से नहीं मिलता है पूजा का फल

ऐसा माना जाता है कि घर के मंदिर में कोई भी ज्वलनशील सामग्री जैसे माचिस या लाइटर नहीं रखना चाहिए। ये अपनी और नेगेटिव ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। माचिस को आप घर में किचन या किसी अन्य स्थान पर रख सकते हैं, लेकिन माचिस कभी भी बेडरूम में भी नहीं रखनी चाहिए

पूजा घर में क्या नहीं करना चाहिए?

ऐसी मान्‍यता है कि घर के पूजा स्‍थल में हमें मूर्तियां नहीं स्‍थापित करनी चाहिए। इसे गृहस्‍थ लोगों के लिए अच्‍छा नहीं माना जाता है। आप इसके स्‍थान पर तस्‍वीरों या फिर बहुत छोटी मूर्तियां रख सकते हैं और किसी भी भगवान की एक से अधिक तस्‍वीर या फिर प्रतिमा न रखें।

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