इसका उत्तर है कि नहीं, शरीर की मृत्यु वा उसकी आयु आत्मा की आयु नहीं है। आत्मा की तो कभी उत्पत्ति ही नहीं हुई और न कभी इसकी मृत्यु, नाश वा अभाव होता है। इस कारण से आत्मा को अनादि कहा जाता है। अनादि का अर्थ है कि जिसका आदि वा आरम्भ न हो।
आत्मा कौन देख सकता है?
आत्मा प्रकाश पुंज है जो सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित व्यक्तियों के अंदर मौजूद रहती है। सूक्ष्म शरीर के आंख, कान, मुख तथा हाथ पैर नहीं होते है फिर भी यह देख सकता है, सुन सकता है, बोल सकता है और स्पर्श कर सकता है।
एक आत्मा कितनी बार जन्म लेती है?
ऐसा माना जाता है कि कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी ।
आत्मा को कौन देख सकता है?
आत्मा प्रकाश पुंज है जो सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित व्यक्तियों के अंदर मौजूद रहती है। सूक्ष्म शरीर के आंख, कान, मुख तथा हाथ पैर नहीं होते है फिर भी यह देख सकता है, सुन सकता है, बोल सकता है और स्पर्श कर सकता है।
मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है?
बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं।
शरीर में आत्मा कहाँ निवास करती है?
आत्मा का निवास स्थान हृदय में होता है इस बात का उल्लेख श्रीकृष्ण ने गीता में इस प्रकार किया है- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदेशेअर्जुन तिष्ठति।
आत्मा की उम्र कितनी है?
इसका उत्तर है कि नहीं, शरीर की मृत्यु वा उसकी आयु आत्मा की आयु नहीं है। आत्मा की तो कभी उत्पत्ति ही नहीं हुई और न कभी इसकी मृत्यु, नाश वा अभाव होता है। इस कारण से आत्मा को अनादि कहा जाता है।
मरने के बाद कितने दिन बाद जन्म मिलता है?
मनुष्य के कर्मों के अनुसार उस आत्मा को यातनाएं दी जाती हैं. नरक में यातनाएं झेलने के बाद आत्मा को पुनर्जन्म मिलता हैं. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, पुनर्जन्म मृत्यु के तीसरे दिन से लेकर 40 दिन में होता है.
क्या मृत्यु के समय दर्द होता है?
उनकी राय है कि मौत के समय दर्द नहीं होता लेकिन अप्राकृतिक मौत के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता. आम तौर पर मौत के समय दांत दर्द से भी कम दर्द हो सकता है.
मरते समय आत्मा कैसे निकलती है?
गरुड़ पुराण के मुताबिक मरते समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी से शरीर छोड़ती है. ये नौ द्वार दोनों आखें, दोनों कान, दोनो नासिका, मुंह या फिर उत्सर्जन अंग हैं. जिस व्यक्ति की आत्मा उत्सर्जन अंग से निकलती है, मरते समय वो मल-मूत्र त्याग देते हैं.
मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है?
आपका दिल अब नहीं धड़कता है, आपकी सांस रुक जाती है और आपका दिमाग काम करना बंद कर देता है । अध्ययनों से पता चलता है कि किसी व्यक्ति को मृत घोषित किए जाने के कई मिनट बाद मस्तिष्क की गतिविधि जारी रह सकती है। फिर भी, मस्तिष्क की गतिविधि चेतना या जागरूकता के समान नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि एक व्यक्ति को पता है कि वे मर चुके हैं।
भगवान अगले जन्म का फैसला कैसे करते हैं?
ऐसे में मनुष्य जीवित रहते हुए जो भी कर्म करते हैं । वही कर्म मृत्यु के बाद उनके साथ जाते हैं। ऐसे में हिंदू धर्म शास्त्र गरुण पुराण की मानें तो उन्हें कर्मों के आधार पर मनुष्य को उसका अगला जन्म मिलता है।
मरने के बाद आंख कितनी देर तक जिंदा रहती है?
आंख का कॉर्निया तकरीबन 6 घंटे तक जिंदा रहता है.
कौन सा कर्म करने से स्त्री का जन्म मिलता है?
मृत्यु के समय मनुष्य की आसक्ति जिस ओर होती है उसका जन्म उसी आसक्ति के आधार पर होता है। मान लीजिए अगर हम मृत्यु के समय स्त्री को याद करते-करते प्राण त्याग देते हैं तो हमारा अगला जन्म स्त्री के रुप में ही होगा।
मरने के बाद मुंह में सोना क्यों रखा जाता है?
तुलसी और गंगाजल के साथ कुछ जगहों पर मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने की टुकड़ा भी रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
गूगल क्या सच में आत्मा होती है?
सच कहें तो आत्मा केवल एक कल्पना है। हमारे भीतर या बाहर जो कुछ भी है उसे केवल अनुभव किया जा सकता है उसे व्यक्त नहीं जा सकता और ना उसे कोई नाम हो सकता है। हालांकि किसी भी चीज को परिभाषित करने के लिए उसे कोई ना कोई नाम देना ही पड़ता है इसलिए इसे आत्मा या परमात्मा कोई भी नाम दिया जा सकता है।
मनुष्य का जन्म क्यों होता है?
मानव जन्म का मूल उद्देश्य ईश्वर निराकार प्रभु की प्राप्ति करना ही है। जिसके द्वारा ही मानव के भ्रम, कर्मकांड की बेड़ियों से निजात पाकर निराकार परमात्मा का दर्शन किया जा सकता है।
क्या आत्मा हमें देख सकती है?
क्या आत्मा को देखा जा सकता है? – आत्मा को देखना सामान्य रूप से सम्भव नहीं है . – इसके लिए ईश्वर की कृपा और सूक्ष्म दृष्टि चाहिए . – आत्माओं के अन्दर पृथ्वी तत्त्व नहीं होता , अतः वायु के सामान गमनशील होती हैं .
मौत के बाद आदमी कहाँ जाता है?
मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा प्रेत रूप में एक दिन में 2 सौ योजन यानी 1600 किलोमीटर चलती है। एक योजन 8 किलोमीटर का होता है। इस तरह एक वर्ष में आत्मा यमराज के नगर में पहुंचती है। वैतरणी नदी को छोड़कर यमलोक का मार्ग 86 हजार योजन है।
आत्मा कहाँ रहता है?
आत्मा का निवास स्थान हृदय में होता है इस बात का उल्लेख श्रीकृष्ण ने गीता में इस प्रकार किया है- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदेशेअर्जुन तिष्ठति।
आत्मा का अंत कैसे होता है?
वेद-पुराण और गीता अनुसार आत्मा अजर-अमर है। आत्मा एक शरीर धारण कर जन्म और मृत्यु के बीच नए जीवन का उपभोग करता है और पुन: शरीर के जीर्ण होने पर शरीर छोड़कर चली जाती है। आत्मा का यह जीवन चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि वह मुक्त नहीं हो जाती या उसे मोक्ष नहीं मिलता।
मौत से पहले क्या होता है?
शिव पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के कुछ महीनों पहले व्यक्ति की जीभ उचित तरह से काम करना बंद कर देती है, उसे भोजन का सही स्वाद नहीं मिलता. बोलने में भी परेशानी आने लगती है. जब कोई व्यक्ति चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के प्रकाश को देखने में असमर्थता महसूस करने लगे तो ये संकेत है कि जीवन के बस कुछ क्षण ही बचे हैं.
मरने के बाद चेहरा नीला क्यों होता है?
दरअसल, जब तक इंसान जिन्दा होता है, उसके बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन चलता रहता है। जैसे ही उसकी सांसें रूकती हैं, सर्कुलेशन रुकने की वजह से बॉडी का रंग नीला पड़ने लगता है। इसके अलावा हीमोग्लोबिन का लेवल कम होने की वजह से शरीर पीला पड़ने लगता है।