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आत्मा का रंग क्या है?

भारतीय योगियों का मत है कि आत्मा का रंग शुभ्र यानी पूर्ण सफेद होता है जबकि पाश्चात्य योगियों के अनुसार आत्मा बैंगनी रंग की होती है। कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है। नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।

हमारी आत्मा किस रंग की है?

"आपकी आत्मा किस रंग की है?" का कोई सटीक उत्तर नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे कोई नहीं देख सकता है। हालाँकि, जैसा कि सबसे उन्नत मनोविज्ञान कहते हैं, आपकी मानसिक स्थिति आपकी जीवन ऊर्जा को प्रभावित करती है।

आत्मा की उम्र कितनी है?

इसका उत्तर है कि नहीं, शरीर की मृत्यु वा उसकी आयु आत्मा की आयु नहीं है। आत्मा की तो कभी उत्पत्ति ही नहीं हुई और न कभी इसकी मृत्यु, नाश वा अभाव होता है। इस कारण से आत्मा को अनादि कहा जाता है।

शरीर में आत्मा कहाँ निवास करती है?

आत्मा का निवास स्थान हृदय में होता है इस बात का उल्लेख श्रीकृष्ण ने गीता में इस प्रकार किया है- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदेशेअर्जुन तिष्ठति।

आत्मा का आकार क्या है?

अतः श्वेताश्वतरोपनिषद् ५.९ के प्रमाण को मान कर, यदि आत्मा के आकार की गणना करे। तो बाल के 100 भाग को पुनः 100 भाग, यानी कुल 10,000 भाग होते है। वहीं बाल का औसतन व्यास 0.0985 mm है। इस प्रकार, वेद द्वारा पता चला की आत्मा का आकर 0.0985 mm/10,000 = 0.00000985 mm या 0.985 x 105 mm होता है।

मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है?

आपका दिल अब नहीं धड़कता है, आपकी सांस रुक जाती है और आपका दिमाग काम करना बंद कर देता है । अध्ययनों से पता चलता है कि किसी व्यक्ति को मृत घोषित किए जाने के कई मिनट बाद मस्तिष्क की गतिविधि जारी रह सकती है। फिर भी, मस्तिष्क की गतिविधि चेतना या जागरूकता के समान नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि एक व्यक्ति को पता है कि वे मर चुके हैं।

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मरने के बाद कितने दिन बाद जन्म मिलता है?

मनुष्य के कर्मों के अनुसार उस आत्मा को यातनाएं दी जाती हैं. नरक में यातनाएं झेलने के बाद आत्मा को पुनर्जन्म मिलता हैं. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, पुनर्जन्म मृत्यु के तीसरे दिन से लेकर 40 दिन में होता है.

आत्मा को कौन देख सकता है?

आत्मा को केवल वो देख सकता है जिसकी खुद की दृष्टि सूक्ष्म होती है। जब कोई भुत-प्रेत की बात करता है तो वो आत्मा के अग्नि तत्व की बात कर रह होता है और कोई भगत या कोई अन्य इंसान जप या किसी और शक्ति से अग्नि तत्व को खत्म कर देता है तो वो आत्मा पूर्णतः असली स्वरुप में आ जाती है।

आत्मा कहाँ रहता है?

आत्मा का निवास स्थान हृदय में होता है इस बात का उल्लेख श्रीकृष्ण ने गीता में इस प्रकार किया है- ईश्वर: सर्वभूतानां हृदेशेअर्जुन तिष्ठति।

क्या आत्मा हमें देख सकती है?

आत्मा प्रकाश पुंज है जो सूक्ष्म शरीर के रूप में जीवित व्यक्तियों के अंदर मौजूद रहती है। सूक्ष्म शरीर के आंख, कान, मुख तथा हाथ पैर नहीं होते है फिर भी यह देख सकता है, सुन सकता है, बोल सकता है और स्पर्श कर सकता है।

आत्मा का अंत कैसे होता है?

वेद-पुराण और गीता अनुसार आत्मा अजर-अमर है। आत्मा एक शरीर धारण कर जन्म और मृत्यु के बीच नए जीवन का उपभोग करता है और पुन: शरीर के जीर्ण होने पर शरीर छोड़कर चली जाती है। आत्मा का यह जीवन चक्र तब तक चलता रहता है जब तक कि वह मुक्त नहीं हो जाती या उसे मोक्ष नहीं मिलता।

मनुष्य का जन्म क्यों होता है?

मानव जन्म का मूल उद्देश्य ईश्वर निराकार प्रभु की प्राप्ति करना ही है। जिसके द्वारा ही मानव के भ्रम, कर्मकांड की बेड़ियों से निजात पाकर निराकार परमात्मा का दर्शन किया जा सकता है।

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क्या मृत्यु के समय दर्द होता है?

उनकी राय है कि मौत के समय दर्द नहीं होता लेकिन अप्राकृतिक मौत के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता. आम तौर पर मौत के समय दांत दर्द से भी कम दर्द हो सकता है.

मरने से पहले यमराज क्या संकेत देते हैं?

तब यमराज ने बताया कि मेरा पहना संकेत तुम्हारे सफेद बाल थे. दूसरा संकेत जब तुम्हारे दांत टूटने लगे. तीसरा संकेत आंखों की रोशनी चली जाता और चौथा इशारा शरीर के अंगों का काम न करना था.

मनुष्य का जन्म कितनी बार होता है?

अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’ हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जीवात्मा 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जन्म पाता है।

गूगल क्या सच में आत्मा होती है?

सच कहें तो आत्मा केवल एक कल्पना है। हमारे भीतर या बाहर जो कुछ भी है उसे केवल अनुभव किया जा सकता है उसे व्यक्त नहीं जा सकता और ना उसे कोई नाम हो सकता है। हालांकि किसी भी चीज को परिभाषित करने के लिए उसे कोई ना कोई नाम देना ही पड़ता है इसलिए इसे आत्मा या परमात्मा कोई भी नाम दिया जा सकता है।

मन शरीर में कहाँ रहता है?

मन का ‌निवास हमारे सर में होता है। जिसे मस्तिष्क कहते हैं। यह हमारी भृकुटी से चलकर सर के पीछे के उभरे हुए भाग तक फैला हुआ है। इसमें दायां और बायां दो भाग होते हैं।

मरने के बाद मुंह में सोना क्यों रखा जाता है?

तुलसी और गंगाजल के साथ कुछ जगहों पर मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने की टुकड़ा भी रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

अच्छे लोगों की मृत्यु जल्दी क्यों होती है?

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भगवान हर अच्छे आदमी को किसी ना किसी उद्देश्य के साथ ही इसे मृत्युलोक में भेजते हैं और भगवान का अपना अवतार उन्हीं उद्देश्यों में शामिल है । इसीलिए जब वो उद्देश्य जल्दी पूरे हो जाते हैं तब भगवान उन्हें वापस बुला लेते हैं । अर्थात अच्छे लोगों की मृत्यु उनके अच्छे कर्मों पर ही निर्भर करती है ।

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मौत का पता कैसे चलता है?

मौत निकट हो तो व्‍यक्ति को सूर्य-चंद्रमा का प्रकाश दिखना बंद हो जाता है. – मौत से पहले व्‍यक्ति के शरीर में हल्‍का पीलापन या कई बार सफेदी दिखने लगती है. ऐसा लगता है जैसे उसके शरीर में खून कम होता जा रहा है. – मरने वाले व्‍यक्ति को अपनी छाया दिखनी बंद हो जाती है.

मौत के बाद आदमी कहाँ जाता है?

मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा प्रेत रूप में एक दिन में 2 सौ योजन यानी 1600 किलोमीटर चलती है। एक योजन 8 किलोमीटर का होता है। इस तरह एक वर्ष में आत्मा यमराज के नगर में पहुंचती है। वैतरणी नदी को छोड़कर यमलोक का मार्ग 86 हजार योजन है।

कौन सा कर्म करने से स्त्री का जन्म मिलता है?

मृत्यु के समय मनुष्य की आसक्ति जिस ओर होती है उसका जन्म उसी आसक्ति के आधार पर होता है। मान लीजिए अगर हम मृत्यु के समय स्त्री को याद करते-करते प्राण त्याग देते हैं तो हमारा अगला जन्म स्त्री के रुप में ही होगा।

भगवान से पहले कौन था?

भगवान से पहले कौन आया? शिव को आदि अनंत कहा गया है अर्थात जीस का कोई सुरुआत न हो और न ही जीस का कोई अंत हो। उत्तर है भगवान ही सबसे पहले थे। ईश्वर की उत्पति कैसे कहाँ और कब हुई?

पवित्र आत्मा कहाँ रहता है?

पवित्र आत्मा हमारे भीतर वास करता है। और हम जानते हैं कि, . पवित्र आत्मा उनमें स्थायी रूप से वास नहीं करता था। आत्मा चर्च में रहता है, ईसाइयों को सिखाता है और उनका मार्गदर्शन करता है (यूहन्ना 14:26; 15:26; 16:13-14; प्रेरितों के काम 5:32; इब्रा।