वेद चूंकि श्रुत की परंपरा से हैं उन्हें सुनकर पीढियों तक याद रखा जाता था इसलिए उन्हें श्रुति कहा जाता है। पर इसी परंपरा के कारण मूल वेद कहीं उपलब्ध नहीं हैं। आज जो वेद उपलब्ध हैं वे पश्चिम से जर्मनी से आयातित हैं। वहां ये भारत से फारसी में अनुदित होकर गये थे।
वेदों के रचयिता कौन है?
वेदों के संपूर्ण ज्ञान को ऋषि वेदव्यास द्वारा 4 प्रकारों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) में विभाजित किया गया था. महर्षि वेदव्यास दी द्वारा वेद को लिखा गया है. लेकिन वेदव्यास जी द्वारा वेदों को केवल लिपिबद्ध किया गया है.
सबसे अच्छा वेद कौन सा है?
ऋग्वेद ऋग्वेद को चारों वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है।
संसार में कितने वेद है?
वेदों की संख्या 4 है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद.
सबसे पुराना वेद कौन सा है?
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है। इसमें 1028 सूक्त हैं जिन्हें 'सूक्त' कहा जाता है और यह 'मंडल' नामक 10 पुस्तकों का संग्रह है। यह वेद का सबसे पुराना रूप है और सबसे पुराना ज्ञात वैदिक संस्कृत पाठ (1800 – 1100 ईसा पूर्व) है। 'ऋग्वेद' शब्द का अर्थ है स्तुति ज्ञान
सबसे बड़ा वेद कौन सा है?
ऋग्वेद ऋग्वेद को चारों वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है।
क्या शूद्र वेद पढ़ सकते हैं?
पुराण सरल संस्कृत पद्य में लिखे गए थे और महिलाओं और शूद्रों सहित सभी को सुनने के लिए थे, जिन्हें वेदों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं थी। सम्भवतः पुजारियों द्वारा इनका पाठ मंदिरों में किया जाता था और लोग इन्हें सुनने आते थे।
वेद के पिता कौन है?
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वेदव्यास
कृष्णद्वैपायन वेदव्यास |
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वेद को लिखने वाला कौन है?
महर्षि व्यास , जो वैदिक ज्ञान के संकलनकर्ता हैं, ने इस ज्ञान को चार भागों में विभाजित किया है – ऋग्वेद, साम वेद, अथर्ववेद और यजुर्वेद।
सबसे ऊंची जाति कौन सी होती है?
भारतवर्ष में सबसे ऊँची जाति ब्राह्मण है। ब्राह्मणों में ऊँच-नीच के असंख्य भेद हैं।
ब्राह्मण का असली नाम क्या है?
ब्राह्मण को धर्मज्ञ विप्र और द्विज भी कहा जाता है।
दुनिया का सबसे पुराना ग्रंथ कौन सा है?
वेद वेद प्राचीनतम हिंदू ग्रंथ हैं। वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘विद्’ धातु से हुई है।
सबसे बड़ा वेद कौन था?
ऋग्वेद ऋग्वेद को चारों वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है।
शूद्र का देवता कौन है?
ऋग्वैदिक काल में शूद्रों के देवता कौन थे? Notes: ऋग्वैदिक काल में देवताओं के भी वर्ण होती थीं जैसे कि अग्नि ब्राह्मण थे। इंद्र और वरुण क्षत्रिय, मारुत और रुद्र वैश्य तथा पूषन शूद्र थे। पूषन का कार्य यात्रियों की रक्षा करना बताया जाता है।
असली शूद्र कौन है?
जैसे बढ़ई, कुम्हार, लोहार, मछुआरे, फलों का संग्रहण करने वाले और कृषि श्रमिक – भी शूद्र हैं।
वेद की उम्र कितनी है?
इस मान से लिखित रूप में आज से 6508 वर्ष पूर्व पुराने हैं वेद।
कौन सी जाति बहुत अमीर है?
ब्राह्मण । ब्राह्मण चार हिंदू जातियों में शीर्ष पर हैं, जिनमें पादरी और बुद्धिजीवी शामिल हैं। मान लीजिए हम वैदिक दस्तावेजों पर विचार करते हैं। ब्राह्मण महाराजाओं, मुगलों और सेना के अधिकारियों के सलाहकार थे।
भारत की सबसे पुरानी जाति कौन सी है?
मनुस्मृति के अनुसार खस अन्य भारतीय जाति जैसे शक, कम्बोज, दारद, पहलव, यवन, पारद आदि जैसे ही प्राचीन क्षत्रिय थे जो संस्कार का त्याग करने से ‘व्रात्य क्षत्रिय’ और ‘म्लेच्छ’ में परिणत हुए। मनुस्मृति में उन्हें व्रात्य क्षत्रिय के वंशज कहाँ गया था । प्राचीन खसों ने बौद्ध धर्म धारण किया था ।
पंडित और ब्राह्मण में क्या अंतर है?
किसी विशेष विद्या का ज्ञान रखने वाला ही पंडित होता है। प्राचीन भारत में, वेद शास्त्रों आदि के बहुत बड़े ज्ञाता को पंडित कहा जाता था। ब्राह्मण : ब्राह्मण शब्द ब्रह्म से बना है, जो ब्रह्म (ईश्वर) को छोड़कर अन्य किसी को नहीं पूजता, वह ब्राह्मण कहा गया है। जो पुरोहिताई करके अपनी जीविका चलाता है, वह ब्राह्मण नहीं, याचक है।
सबसे पवित्र ग्रंथ कौन है?
वेद वेद प्राचीनतम हिंदू ग्रंथ हैं। वेद शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘विद्’ धातु से हुई है। विद् का अर्थ है जानना या ज्ञानार्जन, इसलिये वेद को “ज्ञान का ग्रंथ कहा जा सकता है।
हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ कौन सा है?
वेद बहुत महत्वपूर्ण धार्मिक शास्त्र हैं। वेद 4 हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद। वेदों में ऋग्वेद की रचना 1300-1500 ईसा पूर्व के बीच की मानी जाती है और इसे विश्व का सबसे बड़ा धर्मग्रंथ माना जाता है। भगवद-गीता को सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पुस्तक माना जाता है।
4 वेदों को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
चार वेद ऋग्वेद (छंदों का ज्ञान), यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं।
मैं वेद कैसे सीख सकता हूं?
गुरु (शिक्षक) द्वारा मंत्रों का प्रतिपादन सुनकर मंत्रों के उच्चारण के सही तरीके को समझने के लिए उन्हें कंठस्थ करना सीखना होगा । इस प्रकार सीखे गए वेद मंत्र हमारे दैनिक जीवन में, हमारे कर्मानुष्ठान, तप, ईश्वर आराधना आदि में मार्गदर्शक बनने चाहिए।