NASA के अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) टेरी विर्ट्स (Terry Virts) के अनुसार जब ऐसी स्थिति बनती है कि स्पेस यान में किसी की मौत तो जाए तो उस स्थिति में शव को एयरलॉक में पैक कर स्पेस में ही छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने के बाद वह मृत शरीर या डेड बॉडी स्पेस में ही ठंड के कारण आइस ममी (Ice Mummy) में तब्दील हो जाती है।
हम अंतरिक्ष में क्यों नहीं रोते?
अन्तरिक्ष मे आँसूओ को आँखो से न गिरने का कारण गुरुत्वाकर्षण बल पर्याप्त न होना है। जिससे आँसू आँख में चिपके रह जाते है।
इंसानों के मरने के बाद क्या होता है?
मृत्यु के बाद भी साथ जाते हैं कर्म
हर पल मनुष्य अच्छे ये बुरे कर्म करता है। मृत्यु समीप आने पर व्यक्ति के कर्मों द्वारा ही तय होता है कि उसे परलोक में सुख मिलेगा या दुख। इन्हीं के परिणाम से अगले जन्म में अच्छा बुरा फल प्राप्त होता है। कर्म 7 जन्मों तक व्यक्ति का पीछा नहीं छोड़ते हैं।
अंतरिक्ष में लोग उल्टा क्यों होते हैं?
अंतरिक्ष में क्योंकि कोई गुरुत्वाकर्षण नहीं होता इसलिए अंतरिक्ष यात्री ग़ुब्बारे की तरह उल्टे पुल्टे होते रहते हैं.
अंतरिक्ष में लोग उल्टा क्यों सोते हैं?
अंतरिक्ष में क्योंकि कोई गुरुत्वाकर्षण नहीं होता इसलिए अंतरिक्ष यात्री ग़ुब्बारे की तरह उल्टे पुल्टे होते रहते हैं. इन्हे सोने के लिए एक बैग दिया जाता है जिसे बर्थ से बाँध दिया जाता है जिससे ये लोग आराम से सो सकें.
रात का आसमान काला क्यों होता है?
रात के समय, जब पृथ्वी का वह हिस्सा सूर्य से दूर होता है, तो अंतरिक्ष काला दिखाई देता है, क्योंकि पास में बिखरने के लिए सूर्य जैसा प्रकाश का कोई उज्ज्वल स्रोत नहीं होता है । यदि आप चंद्रमा पर होते, जिसमें कोई वायुमंडल नहीं होता, तो आकाश रात और दिन दोनों समय काला होता।
अंतरिक्ष में मरने के बाद क्या होता है?
NASA के अंतरिक्ष यात्री (Astronaut) टेरी विर्ट्स (Terry Virts) के अनुसार जब ऐसी स्थिति बनती है कि स्पेस यान में किसी की मौत तो जाए तो उस स्थिति में शव को एयरलॉक में पैक कर स्पेस में ही छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने के बाद वह मृत शरीर या डेड बॉडी स्पेस में ही ठंड के कारण आइस ममी (Ice Mummy) में तब्दील हो जाती है।
अंतरिक्ष से कूदने वाला इंसान कौन है?
अब तक हाई फ्री फॉल जम्प का रिकॉर्ड एक अमेरिकी कम्प्यूटर साइंटिस्ट राबर्ट एलन के नाम है. एलन ने 24 अक्टूबर 2014 को पृथ्वी से करीब 42 किलोमीटर की ऊंचाई से छलांग लगाई थी. इस दौरान उन्होंने हीलियम बलून का सहारा लिया था और इसके साथ ही उन्होंने प्रेशर सूट भी पहन रखा था. खैर ये ऊंचाई कारमन लाइन से काफी कम थी.
मरने से पहले आदमी को क्या दिखता है?
– मृत्यु से 1 महीने पहले व्यक्ति को चंद्रमा और तारे ठीक से नजर आने बंद हो जाते हैं. वहीं चंद्रमा और सूर्य के आसपास काला या लाल घेरा दिखने लगे तो 15 दिन में मृत्यु हो सकती है. – व्यक्ति का अचानक नीली मक्खियों से घिर जाना भी मृत्यु से पहले मिलने वाला संकेत है. ऐसे व्यक्ति की महीने भर में मौत हो सकती है.
क्या मृत्यु के समय दर्द होता है?
उनकी राय है कि मौत के समय दर्द नहीं होता लेकिन अप्राकृतिक मौत के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता. आम तौर पर मौत के समय दांत दर्द से भी कम दर्द हो सकता है.
पूरे ब्रह्मांड का भगवान कौन है?
सम्पूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी हैं शिव
पूरे विश्व में कितने सूर्य हैं?
ब्रह्मांड में कितने सूर्य हैं? ब्रम्हांड में अरबों आकाशगंगाएं हैं और प्रत्येक आकाशगंगा में करोड़ों सूर्य हैं। अभी तक आकाशगंगाओं को नहीं गिना जा सका है सूर्य की बात तो छोड़ दीजिए। पृथ्वी पर जितने समुद्री तट हैं और वहां जितने बालू के कण हैं, उससे कहीं ज्यादा ब्रह्मांड में तारे हैं.
काला क्यों दिखाई देता है?
जब प्रकाश किसी वस्तु से टकराकर हमारी आंख में पहुंचता है तो वह वस्तु दिखाई देती है। वायुमंडल में छोटे-छोटे धूल के कण होते हैं जिससे टकराकर प्रकाश हमारी आंख में पहुंचता है और हमें उजाला दिखाई देता है। अब चूंकि अंतरिक्ष में वायुमंडल नहीं है इसलिए वह काला दिखाई देता है।
अंतरिक्ष से पृथ्वी पर क्या गिरता है?
अंतरिक्ष के सूक्षम कणों से हर साल होती है 40,000 टन धूल
ऐस्टरॉइड और कॉमेट के सूक्ष्म कण अक्सर धरती की सतह पर गिरते हैं, लेकिन उनपर किसी का ध्यान नहीं जाता है. हालांकि हर साल पृथ्वी पर लगभग 40,000 टन धूल इसी की वजह से होती है. वैसे तो ये कण हमारे लिए समस्या नहीं हैं, पर ये मलबे अंतरिक्ष यान को जरूर नुकसान पहुंचाते हैं.
अंतरिक्ष का रंग काला क्यों होता है?
Solution : अंतरिक्ष यात्री आकाश में उस ऊँचाई पर होते हैं जहाँ वायुमंडल नहीं होता और न ही वहाँ कोई प्रकीर्णन हो पाता है इसलिए उन्हें आकाश नीला नहीं बल्कि काला प्रतीत होता है।
आसमान कितने दूर है?
जो भी हम जमीन से ऊपर देख रहे हैं वह आकाश है, यह पृथ्वी के चारों ओर है क्योंकि आकाश में पृथ्वी लेकिन आकाश के बारे में अधिकांश लोगों का बादल बादल है, इसलिए हम कह सकते हैं कि पृथ्वी और बादल के बीच लगभग 2 किलोमीटर की दूरी 18 किमी के आसपास स्थित है और जलवायु के आधार पर है।
आसमान कितने दूर रहता है?
धरती से आसमान के बीच की दूरी (एकदम सटीक) कितनी है? “अनंत”। क्योंकि आसमान कोई भौतिक या ठोस वस्तु नहीं जिसे छूआ, पकड़ा या किसी सीमांकन के लिए चिन्हित किया जा सके पृथ्वी के चारों ओर के वायुमंडलीय आवरण के बाद तो शून्य और केवल अनंत शून्य ही है तथा वायुमंडल तो हवा का एक गोला मात्र है।
मरने के बाद आदमी कहां जाता है क्या करता है?
मरने के 12 दिन के बाद यमलोक के लिए उसकी यात्रा शुरू होती है। वह हवा में स्वत: ही उठता जाता है, जहां रुकावट होती है वहीं उसे यमदूत नजर आते हैं, जो उसे ऊपर की ओर गमन कराते हैं। आत्माओं के मरने की दिशा उसके कर्म और मरने की तिथि अनुसार तय होती है।
मरने के बाद आदमी कितने दिन तक धरती पर रहता है?
इसलिए ही गुरुड़ पुराण में बताया गया है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के पास घर में भटकती रहती है और उसके बाद आत्मा मृत लोक से यमलोक की ओर निकल पड़ती है जिसे पूरा करने के लिए उसे 12 महीने यानि कि 1 साल का वक्त लगता है इतना ही नहीं मान्यता के अनुसार 13 दिनों तक मृतक के नाम का …
आसमान में सबसे पहले कौन गया था?
12 अप्रैल 1961 को 27 साल के यूरी गागरिन ने अंतरिक्ष में कदम रख कर इतिहास रच दिया था. वह पहले शख्स थे जिन्होंने दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को प्रेरणा दी. ये भी कहा जाता है कि रूसी-सोवियत पायलट गागरिन ने ही अंतरिक्ष में मानव उड़ान के युग की शुरुआत की थी.
मृत्यु के समय दर्द क्यों होता है?
इसकी वजह यह बताई जाती है कि जिंदगी के आखिरी लम्हों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर दर्द महसूस न होने देने वाले विषैले पदार्थ जमा हो जाते हैं, दर्द के अभाव में इनसान बेहतर महसूस करने लगता है, गफलत, नीम बेहोशी या बेहोशी के आलम में चला जाता है और अंततः इस आलम से ही निकल जाता है.
मरने से पहले 40 सेकंड क्या होता है?
कहते हैं कि जो पीड़ा नर्क में होती है ठीक वैसी ही पीड़ा मरने से ठीक 40 सेकेंड पहले होती है। मरने से ठीक पहले मनुष्य को इस जन्म के साथ साथ पिछले कई जन्मों के कर्मों का पूरा चित्र हमारे सामने होता है। सब कुछ 40 सेकेण्ड के भीतर ही हो जाता है और इसमें काफी पीड़ा होती है।
मरने के बाद मुंह में सोना क्यों रखा जाता है?
तुलसी और गंगाजल के साथ कुछ जगहों पर मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में सोने की टुकड़ा भी रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा अपने घर वापस क्यों आती है?
बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो यमराज के यमदूत उसे अपने साथ यमलोक ले जाते हैं। यहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है और फिर 24 घंटे के अंदर यमदूत उस प्राणी की आत्मा को वापिस घर छोड़ जाते हैं।
24 घंटे में पृथ्वी कितनी बार घूमती है?
पृथ्वी लगभग 24 घंटे में अपने अक्ष पर 360° घूमती है अर्थात वह 1 घंटे में 15° तथा 4 मिनट में 1° घूमती है।
पृथ्वी घूमती नहीं तो क्या होता?
हम सभी पूर्व की ओर 800 मील प्रति घंटे की गति से पृथ्वी के साथ आगे बढ़ रहे हैं. वहीं, अगर पृथ्वी घूमना रुक जाए तो आप 800 मील की स्पीड के साथ आगे गिर जाएंगे और पृथ्वी पर भयानक दृश्य देखने को मिलेगा. माना जाता है कि इस स्थिति में पृथ्वी पर सभी मर जाएंगे.
ऐसा कौन सा देश है जहां सूरज नहीं होता है?
आइसलैंड: आइसलैंड ( Iceland) ग्रेट ब्रिटेन के बाद यूरोप का सबसे बड़ा आईलैंड है. यहां जून में कभी सूरज डूबता ही नहीं, 24 घंटे दिन ही रहता है. कनाडा: यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. कनाडा( Cannada) का नूनावुत शहर काफी खूबसूरत है यहां 2 महीने सूरज डूबता ही नहीं.
सूर्य के पिता का नाम क्या था?
पुराणों अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है। अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है। 33 देवताओं में अदिति के 12 पुत्र शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- विवस्वान् (सूर्य), अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।
दुनिया का सबसे बड़ा तारा कौन सा है?
वीवाई महाश्वान ब्रह्मांड का सबसे बड़ा तारा है। इसका अंग्रेजी नाम वीवाई केनिस मेजोरिस है। इतना ही नहीं, यह हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे में ही है।
लोग गोरे और काले क्यों होते हैं?
लोगों का रंग गोरा या काला होना हमारी त्वचा में पाए जाने वाले मेलेनिन नामक वर्णक की मात्रा के आधार पर तय होता है। जिसके शरीर/त्वचा में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है, वह काला दिखता है व जिसकी त्वचा में मेलेनिन की मात्रा कम होती है, वह गोरा दिखता है। शरीर के अलग-अलग भाग में मेलेनिन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।
इंसान अंधेरे में क्यों नहीं देख सकता?
अंधेरे में दिखाई नहीं देने का कारण क्या है? किसी भी वस्तु को देखने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है, जबकि अंधेरे में कोई प्रकाश नहीं होता है जिसके कारण हमें कुछ नहीं दिखाई देता है ।
पृथ्वी कभी कभी क्यों हिलती है?
पृथ्वी क्यों हिलती है? भूकंप पृथ्वी की पर्पटी के अंदर गहरे विक्षोभ के कारण होता है। ऊर्जा की मुक्ति एक भ्रंश के साथ होती है।
पृथ्वी क्यों घूमती रहती है?
पृथ्वी का निर्माण सूर्य के चारों ओर घूमने वाली गैस और धूल की एक डिस्क से हुआ। इस डिस्क में धूल और चट्टान के टुकड़े आपस में चिपक गए और पृथ्वी का निर्माण हुआ। जैसे-जैसे इसका आकार बढ़ता गया, अंतरिक्ष की चट्टानें इस नए-नवेले ग्रह से टकराती रहीं और इन टक्करों की शक्ति से पृथ्वी घूमने लगी।
रात में अंधेरा क्यों हो जाता है?
रात को अंधेरा कैसे होता है? प्रथ्वी को प्रकाश सूर्य से प्राप्त होता है। सूर्य के चक्कर लगाने के साथ साथ प्रथ्वी अपनी धुरी पर घूम रही है। प्रथ्वी का को भाग सूर्य के सामने नहीं होता है वहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंचता है इसलिए इस भाग पर अंधेरा होता है।
रात का आसमान अंधेरा क्यों होता है?
1823 में, जर्मन खगोलशास्त्री हेनरिक ओल्बर्स ने सुझाव दिया कि अंतरिक्ष के माध्यम से यात्रा करते समय स्टारलाईट धीरे-धीरे अवशोषित हो जाती है , और यह पर्याप्त दूरी से परे किसी भी तारे से प्रकाश को काट देता है।
हम रात में कौन से तारे देखते हैं?
रात के आकाश में हम जितने भी तारे देखते हैं वे हमारी अपनी मिल्की वे गैलेक्सी में हैं । हमारी आकाशगंगा को मिल्की वे कहा जाता है क्योंकि जब आप इसे वास्तव में अंधेरे क्षेत्र में देखते हैं तो यह आकाश में प्रकाश की एक दूधिया पट्टी के रूप में दिखाई देती है। आकाशगंगा के अंदर हमारी स्थिति से मिल्की वे में तारों की संख्या गिनना बहुत कठिन है।
2060 में पृथ्वी का क्या होगा?
न्यूटन की गणना के आधार पर 800 में 1260 को जोड़ने पर साल 2060 आया और उन्होंने दुनिया के अंत का साल 2060 बताया. उनका कहना था कि अगर इस समय तक दुनिया खत्म नहीं भी हुई तो भी उसका विनाश शुरू हो जाएगा.
पृथ्वी का अंत कैसे होगा?
महाविनाश कब होगा जानिए : श्रीमदभागवत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दो कल्पों के बाद सृष्टि का अंत होता है। हर कल्प में एक अर्ध प्रलय होती है। दो कल्पों का अर्थ है कि दो हजार चर्तुयुग। इसी प्रकार दूसरा कल्प पूरा होने पर प्रलय आता है यानि सृष्टि का विनाश हो जाता है।
हमारी धरती के नीचे क्या है?
चंडीगढ़। हमारे देश में कुछ ऐसे रहस्य है जिन्हें जान पाना कठिन ही नहीं असंभव है। पाताल लोक की कहानियों का जिक्र तो हमारे शास्त्रों में बहुत है, लेकिन आज आपको बता दें कि पाताल लोक जाने का रास्ता भी हमारे ही देश में है।
इंसान मरने के बाद कितने दिन में जन्म लेता है?
इस बारे में वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है। वैज्ञानिकों के शोध के मुताबिक अगर 100 लोगों की मृत्यु होती है तो उनमें से 85 लोगों का पुर्नजन्म 35 से 40 दिनों के भीतर हो जाता है। वहीं बाकी के बचें पंद्रह लोगों में से 11 प्रतिशत लोगों का पुर्नजन्म होने में 1 से 3 साल तक का वक्त लगता है।
चांद पर घर किसका है?
सुशांत सिंह राजपूत ने 25 जून 2018 को चांद पर जमीन खरीदी थी. सुशांत ने भी इंटरनेशनल लूनर लैंड्स रजिस्ट्री से ही चांद पर जमीन खरीदी थी. उनकी ये जमीन चांद के ‘सी ऑफ मसकोवी’ में है.